मणिपुर में गहराए राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस सरकार बनाने की कवायद में जुट गई है। इस बीच, कांग्रेस विधायक दल के नेता ओ इबोबी सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी मणिपुर में गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश कर रही है और जल्द ही भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओ इबोबी सिंह ने कहा कि विधानसभा और पार्टी से इस्तीफा देने वाले भाजपा के सभी तीनों विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से इस्तीफा देने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के सभी चारों मंत्रियों से राज्य में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए संपर्क किया। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। इसके साथ ही जल्द से जल्द विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए अध्यक्ष युमनाम खेमचंद सिंह के पास पार्टी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार सिंह, आदिवासी एवं पर्वतीय क्षेत्र विकास मंत्री एन कायिशी, युवा मामलों और खेल मंत्री लेतपाओ हाओकिप और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने बुधवार को मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा विधायक एस सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेंदई ने विधानसभा तथा पार्टी से इस्तीफा दे दिया। समर्थन वापस लेने वाले बाकी सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के विधायक टी रबिंद्र सिंह और निर्दलीय विधायक शहाबुद्दीन शामिल हैं। इसके बाद एन बिरेन सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। अब कांग्रेस सरकार बनाने की जुगत में जुटी है।
60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में अब सिर्फ भाजपा को सिर्फ 18 विधायकों का ही समर्थन है। साल 2017 में 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 28 सीटें जीतने के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि भाजपा के खाते में 21 सीटें आई थी। लेकिन, भाजपा बीरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनाने में कामयाब हो गई। उसे नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने समर्थन किया था। एनपीपी और एनपीएफ के पास 4-4 विधायत है जबकि एक विधायक एलजेपी के पास है। एन निर्दलीय विधायक और एक टीएमसी विधायक ने भी मणिपुर में भाजपा सरकार का समर्थन किया था। (इंपुट: भाषा के साथ)