कांग्रेस ने शुक्रवार (19 जून) को चुनाव आयोग से आग्रह किया कि मणिपुर के विधानसभा अध्यक्ष वाई खेम चंद सिंह और एक अन्य विधायक के वोट को निरस्त किया जाए क्योंकि इन्होंने राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान के दौरान कानून और तय परिपाटी का उल्लंघन किया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के समक्ष दिए गए प्रतिवेदन में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि खेम चंद सिंह और विधायक गामथांग हाओकिप ने मतदान के बाद अपना वोट तीसरे पक्ष (अनाधिकृत) दिखाया जो कानून और चुनाव आयोग द्वारा तय परिपाटी का उल्लंघन है। मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि आठ अगस्त, 2017 को चुनाव आयोग की ओर से दिए गए आदेश में स्पष्ट है कि अगर संबंधित पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि के अलावा किसी अन्य को वोट दिखाया जाएगा तो फिर उस वोट को निरस्त माना जाएगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला, अभिषेक मनु सिंघवी और गौरव गोगोई की ओर से दिए गए प्रतिवेदन में मांग की गई है कि इन दोनों वोटों को निरस्त किया जाए और ऐसा करने तक चुनाव के नतीजे घोषित नहीं किए जाएं। मणिपुर से राज्यसभा की एक सीट के लिए भाजपा के लिसेम्बा सनाजाओबा और कांग्रेस के टी मंगी बाबू के बीच मुकाबला है।
बता दें कि, मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से कई विधायकों के अलग हो जाने के बाद इन दिनों वह संकट में है। ऐसे में राज्यसभा चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री बिरेन सिंह के समर्थन में 23 विधायक हैं जिनमें भाजपा के 18, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और लोजपा का एक विधायक है। दूसरी तरफ, कांग्रेस अपने साथ 26 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार सिंह, आदिवासी एवं पर्वतीय क्षेत्र विकास मंत्री एन कायिशी, युवा मामलों और खेल मंत्री लेतपाओ हाओकिप और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने बुधवार को मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा विधायक एस सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेंदई ने विधानसभा तथा पार्टी से इस्तीफा दे दिया। समर्थन वापस लेने वाले बाकी सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के विधायक टी रबिंद्र सिंह और निर्दलीय विधायक शहाबुद्दीन भी शामिल हैं। इसके बाद एन बिरेन सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई, अब कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने की जुगत में जुटी है। (इंपुट: भाषा के साथ)