‘पनामा पेपर’ के बाद अब ‘पैराडाइज पेपर्स’ (1.34 करोड़ दस्तावेज) में टैक्सचोरी कर विदेश में कालाधन छुपाने के मामलों से जुड़ी फाइलें सामने आई हैं। इसमें ब्रिटेन की महारानी की निजी जागीर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के मुख्य फंडरेजर, मोदी सरकार के मंत्री जयंत सिन्हा, बिहार से बीजेपी के राज्यसभा सांसद रवींद्र किशोर (आरके) सिन्हा समेत फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन सहित 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं।
इस बीच सोमवार (6 नवंबर) को कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर काले धन के मामले में पिछले 41 माह में कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए पैराडाइज दस्तावेजों में कथित रूप से केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है।
कर से बचने के लिए कर पनाहगाह वाले देशों से संबंधित इन दस्तावेजों के अनुसार सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक रहे हैं और ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी. लाइट डिजाइन में निवेश किया था। डी. लाइट डिजाइन की केमैन द्वीप में अनुषंगी कंपनी है।
इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) और इंडियन एक्सप्रेस ने दस्तावेजों की छानबीन की है। अपना नाम सामने आने के बाद जयंत सिन्हा ने कहा है कि किसी भी निजी उद्देश्य से कोई लेनदेन नहीं किया गया और लेनदेन वैध और प्रमाणिक हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को पैराडाइज दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए संवाददाताओं से कहा कि इस कर पनाहगाह वाली कंपनी ने 30 लाख अमेरिकी डालर का कर्ज लिया था। इस कर्ज के लिए एक समझाौता किया गया जिस पर सिन्हा के हस्ताक्षर भी हैं।
उन्होंने दावा कि सिन्हा ने डी.लाइट डिजाइन में निदेशक होने की बात चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल घोषणापत्र तथा लोकसभा सचिवालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय से छिपायी। उन्होंने कहा कि सिन्हा मई 2014 में सांसद बनने के बाद भी इस कंपनी के निदेशक रहे। उन्होंने कहा कि ऐसा करना सरासर हितों का टकराव है और क्या यह राज्य मंत्री रहने के साथ लाभ के पद के सिद्धान्त के विरूद्ध नहीं है।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक सुरजेवाला ने कहा कि इन दस्तावेजों में बीजेपी के राज्यसभा सदस्य आर के सिन्हा का नाम भी आया है। उन्होंने कहा कि यह खुलासा होने के बाद आर के सिन्हा ने सात दिनों का मौन व्रत ले लिया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नागर विमानन राज्य मंत्री सिन्हा को अब एक भी दिन पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। साथ ही उन्होंने मांग की कि बीजेपी सरकार को इस मामले में भी समुचित जांच करवानी चाहिए।
सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले कहा था कि वह सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर विदेशों में रखे देश का 80 लाख करोड़ रूपये वापस लायेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि यह धन वापस आने से प्रत्येक देशवासी के खाते में 15 लाख रूपये पहुंच जायेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी सरकार को सत्ता में आये 41 माह बीत चुके हैं, लेकिन काला धन पर शून्य कार्रवाई हुई है।
उन्होंने कहा कि लीकटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी बैंक और उसके बाद पनामा पेपर्स में करीब 2000 लोगों के नाम सामने आये। किन्तु मोदी सरकार ने अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने दावा किया कि इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इवेंस्टिगेटिव जर्नलिज्म के आफशोर लीक्स में छाीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह का भी नाम आया था, लेकिन उस मामले में भी अभी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने कहा कि इस मामलें में अभी तक प्राथमिकी भी दर्ज क्यों नहीं की गयी। काला धन खुलासों में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का नाम आने के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि सचिन पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जिस कंपनी का नाम आया था, वह उसके तब निदेशक थे जब वह सांसद नहीं थे। कुछ समय के बाद उन्होंने निदेशक पद त्याग दिया था।
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने सवाल किया कि केंद्र सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती और उनके नामों का खुलासा क्यों नहीं करती, जिनके नाम लीकटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी, पनामा दस्तावेजों और पैराडाइज दस्तावेजों में हैं। उन्होंने सवाल किया, क्या प्रधानमंत्री अपने भरोसे का साहस दिखाकर इनने संबंधित सारी सूचना सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ को सौंपेंगे जो कालाधन-धारकों के खिलाफ कार्रवाई की निगरानी कर रही है। क्या कम्प्रोमाइज्ड ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन एवं प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई करेगा?