कांग्रेस ने शुक्रवार(15 सितंबर) को कहा कि वह पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में बेजा बढ़ोतरी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू करेगी। बता दें कि शुल्क में बढ़ोतरी की वजह से पेट्रोल-डीजल के दाम में खासी बढ़ोतरी हुई है। बीजेपी सरकार पर आम आदमी को लूटने और उनके खर्च पर मुनाफाखोरी करने का आरोप लगाते हुये कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि जब तक कठोर कराधान व्यवस्था वापस नहीं ली जाती कांग्रेस अपनी लड़ाई जारी रखेगी।न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर आप 100 रूपये का पेट्रोल खरीदते हैं तो इसमें से 51.78 रूपये करों में चला जाता है जबकि इतने ही रूपये के डीजल में 44.40 रूपये कर के तौर पर जाते हैं। उन्होंने ईंधन पर लगाये गये करों तथा उनसे सरकार को हुये मुनाफे पर तेल पत्र लाने की मांग की और कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर देशभर में प्रदर्शन करेगी।
यह प्रदर्शन 20 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि आम आदमी पर इस बोझा और सरकार के अपनी तिजोरी भरने के खिलाफ कांग्रेस एक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू करेगी। माकन ने कहा कि कांग्रेस 17 सितंबर से पेट्रोल पंपों पर हस्ताक्षर अभियान शुरू करेगी और 20 सितंबर से बड़ा प्रदर्शन शुरू करेगी।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार आलोचनाओं से घिरी हुई है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। बुधवार(13 सितंबर) को मुंबई में पेट्रोल 79.48 रु. और दिल्ली में 70.38 रु. प्रति लीटर बिका।
इससे पहले एक अगस्त 2014 को मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80.60 रुपए और दिल्ली में 72.51 रुपए रही थी। इस साल 16 जून से पेट्रोल-डीजल के दाम रोज तय हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तब से पेट्रोल 7.48 प्रतिशत और डीजल 7.76 फीसदी महंगे हो चुके हैं।
सरकार नहीं देगी दखल
हैरानी की बात यह है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी के बावजूद मोदी सरकार का कहना है कि वह इसमें दखल नहीं देगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार (13 सितंबर) को पेट्रोल-डीजल के दाम की दैनिक समीक्षा (डेली डाइनैमिक प्राइसिंग) रोकने के लिए सरकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि जीएसटी परिषद पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे।पेट्रोलियम मंत्री ने 3 जुलाई से कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को हल्का करने के लिए टैक्स में कटौती को लेकर भी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई।
कीमतों में वृद्धि को लेकर आलोचना को गलत बताते देते हुए प्रधान ने कहा कि 16 जून को नई व्यवस्था के बाद एक पखवाड़े तक कीमतों में आई कमी की अनदेखी की गई और केवल अस्थायी तौर पर मूल्य वृद्धि को जोर-शोर से उठाया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करेगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में वित्त मंत्रालय को निर्णय करना है, लेकिन एक चीज बिल्कुल साफ है। हमें उपभोक्ताओं की आकांक्षाओं के साथ विकास जरूरतों के बीच संतुलन रखना है।