तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव पर भी अंधविश्वास,अपशकुन जैसी बाते हावी हो गई हैं जिसके कारण उन्होने मुख्यमंत्री कार्यालय के रूप में इस्तेमाल की जा रही सरकारी इमारत को तोड़ने का फैसला किया है।
उन्हें यह इमारत अशुभ लगती है। मुख्यमंत्री का मानना है कि राज्य के लिए यह इमारत अशुभ है। इसे तोड़ने के बाद जो नई इमारत बनेगी, उसकी अनुमानित लागत 347 करोड़ रुपए होगी।
अपशकुन की धारणा के चलते ही मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव इस इमारत में आने से बचते हैं। महीने में एक या दो बार कैबिनेट मीटिंग के दौरान ही वे मौजूद रहते हैं। अन्यथा वह अपने आधिकारिक आवास पर काम करते हैं। यह हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर है।
Photo courtesy: bbcसैफाबाद पैलेस का निर्माण हैदराबाद के छठे निजाम महबूब अली पाशा ने सन् 1888 में कराया था। निजाम ने इसके बनने के तुरंत बाद ही इस पर ताला लगाने का हुक्म दिया और तभी से इस इमारत पर अपशकुन का ठप्पा भी लग गया। बताया जाता है कि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि निजाम इस महल में रहें। इसलिए उन्होंने निजाम के गुजरने के दौरान एक छिपकली वहां से गुजार दी, जिसे अपशकुन माना जाता था।
इसके बाद निजाम ने इस पैलेस को बंद करने का फरमान जारी कर दिया था। 1940 के दशक में इस इमारत को प्रशासनिक भवन बना दिया गया।
सैफाबाद पैलेस अब एक ऐतिहासिक विरासत है। इसके कमरे अब भी सचिवालय का हिस्सा हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, दोनों राज्य इसका इस्तेमाल करते हैं। मालूम हो, हैदराबाद फिलहाल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों की राजधानी है। बाद में यह शहर तेलंगाना के हिस्से जाना है।
हाई कोर्ट में चुनौती सरकार की मंशा के खिलाफ विपक्षी दल के एक विधायक ने इस फैसले के विरुद्ध हैदराबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। सरकार ने कोर्ट में कहा है कि इमारत तोड़ने का फैसला प्रशासनिक सुविधा के चलते लिया गया है। इस इमारत में आग लगने का खतरा है।