कैराना आकर ये क्या कह गए राजनाथ सिंह बोले- बीजेपी की सरकार बनने दीजिए फिर देखेंगे कितना मां का दूध पिया है

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गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना में कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो ऐसे लोग जो गुंडागर्दी के आधार पर लोगों में दहशत पैदा करने का काम करते हैं, बीजेपी की सरकार आने के बाद हम देखेंगे उसने कितना मां का दूध पिया है।’

उत्तर प्रदेश में बीजेपी परिवर्तन यात्रा के माध्यम से चुनावी बिगुल फुंक रही है, जिसके तहत कैराना में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह बिना जानकारी के जोश भरा भाषण दे डाला एक वर्ग को खुश करने की खातिर गृहमंत्री जो कहा उससे स्पष्ट होता है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में किस तरह के वातावरण को तैयार कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि क्या हालत हो गई है यहां पर? माताओं और बहनों अस्मत लूटी जा रही है। किसी को गुंडों के डर से पलायन नहीं करना पड़ेगा। कानून-व्यवस्था का राज होगा। हर व्यक्ति को सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब तक उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं आएगी तब तक समस्याओं का समाधान नहीं होगा।
आपको बता दे गृहमंत्री जिस हिंदुओं को पलायन की और उन पर होने वाले अत्याचार की बात कर गए वो सब बेबुनियाद थी।
क्योंकि इस राजनीति के पीछे हुकुम सिंह ने मुस्लिमों पर हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था।

इस मसले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने आकर यहां हालात का जायजा भी लिया था। जिसमें बाद में सारे दावे फर्जी पाए गए और हिन्दु परिवारों के पलायन की वजह आर्थिक बताई गई।

जबकि इसके विपरित जिन्हें गृहमंत्री कह रहे है कि हम बता देगें किसने मां का दूध पिया है उन लोगों को खाने के लिए रोटी तक मुहैय्या नहीं है। पिछले दिनों कैराना में हालात का जायजा लेने के लिए द इंडियन एक्‍सप्रेस ने कैराना के करीब 20 कैंपों का दौरा किया।

जहां उन्होंने पाया कि जो कहा गया है हालात उससे बिल्कुल अलग हैं। वहां के मुस्लिम परिवार घर-बार छोड़कर  किसी तरह बसर कर रहे हैं।

जिसमें से अधिकांशत की हालात दयनीय है। राहत कैंप में रह रहे 60 साल के सुलेमान ने कहा, ”मेरे तीन बच्‍चे दिनभर पत्‍थर तोड़ते हैं, तब कहीं जाकर हमें एक वक्‍त की रोटी नसीब होती है।

कैंप में कोई परिवार इस ईद पर कुर्बानी नहीं दे सका, न ही हमारे पास सेवइयों के लिए पैसा है। हम अपनी समस्‍या में इतने परेशान हैं, लड़कियां क्‍या छेड़ेंगे, वो भी 20 किलोमीटर जाकर कैराना में? जितना पैसा वहां जाने में खर्च होगा, उतने में हम 10 रोटी बना सकते हैं।”

जिन परिवारों को खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं मिल पा रही है वो कैसे किसी दूसरी सम्प्रदाय के लोगों को जाकर छेड़ने का अपराध करेेंगे। लेकिन गृहमंत्री को सिर्फ चुनावी रोटियां सेकनें से मतलब है।चुनाव के लिए प्रदेश को सम्प्रदायिकता की भट्टी में झोंक देना कहां तक उचित है ये फैसला अब उत्तर प्रदेश के मतदाता करेंगे।

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