CJI रंजन गोगोई बोले- संविधान की बातों पर ध्यान नहीं देने से अव्यवस्था बढ़ेगी

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भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने सोमवार(26 नवम्बर) को कहा कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना ‘हमारे सर्वश्रेष्ठ हित’ में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेजी से बढ़ेगी।

फाइल फोटो: (Reuters Photo)

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI)  रंजन गोगोई ने दिल्ली में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की भी आवाज है और यह अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में सतत् मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।

समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘संविधान की बातों पर धयान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेजी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा।’ गोगोई ने कहा, ‘संविधान भारत की जनता के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, अदालतें रोजाना जिस प्रकार के भिन्न मुद्दों पर सुनवाई करतीं है उसे लोगों को देखना चाहिए।’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हमारा संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की आवाज है। इसका विवेक अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में हमारा मार्गदर्शन करता है।’ उन्होंने कहा कि जब संविधान लागू किया गया था उस वक्त व्यापक पैमाने पर इसकी आलोचना हुई थी लेकिन वक्त ने आलोचनाओं को कमजोर किया और बेहद गर्व की बात है कि पिछले अनेक दशक से इसका जिक्र बेहद जोश के साथ किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘क्या हम भारतीय आजादी, समानता और गरिमा की शर्तों के साथ जी रहे हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें मैं खुद से पूछता हूं। निसंदेह काफी तरक्की हुई है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आज हमें सिर्फ जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि भविष्य के लिए एक खाका तैयार करना चाहिए।’ गौरतलब है कि 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बता दें कि अभी हाल ही में देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में बढ़ती असहिष्णुता और मानवाधिकारों का हनन और देश का अधिकांश धन अमीरों की जेब में जाने से गरीबों के बीच बढ़ती खाई पर चिंता जाहिर की थी। मुखर्जी ने कहा था, ‘जिस देश ने दुनिया को ‘वसुधव कुटुंबकम’ और सहिष्णुता का सभ्यतामूलक लोकाचार, स्वीकार्यता और क्षमा की अवधारणा प्रदान की वहां अब बढ़ती असहिष्णुता, गुस्से का इजहार और मानवाधिकरों का अतिक्रमण की खबरें आ रही हैं।’

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘जब राष्ट्र बहुलवाद और सहिष्णुता का स्वागत करता है और विभिन्न समुदायों में सद्भाव को प्रोत्साहन देता है, हम नफरत के जहर को साफ करते हैं और अपने दैनिक जीवन में ईष्या और आक्रमकता को दूर करते हैं तो वहां शांति और भाईचारे की भावना आती है।’

उन्होंने आगे कहा था, ‘उन देशों में अधिक खुशहाली होती है जो अपने निवासियों के लिए मूलभूत सुविधाएं व संसाधन सुनिश्चित करते हैं, अधिक सुरक्षा देते हैं, स्वायत्ता प्रदान करते हैं और लोगों की सूचनाओं तक पहुंच होती है। जहां व्यक्तिगत सुरक्षा की गारंटी होती है और लोकतंत्र सुरक्षित होता है वहां लोग अधिक खुश रहते हैं।’

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