चंद्रबाबू नायडू छोड़ सकते हैं BJP का साथ, टीडीपी के संसदीय बोर्ड की बैठक में आज हो सकता है फैसला

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आम बजट 2018 में आंध्र प्रदेश की अनदेखी से नाराज चल रही मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच गठबंधन जारी रहेगा या नहीं, इस बात का फैसला रविवार (4 फरवरी) को होने की संभावना है। राजधानी अमरावती में टीडीपी संसदीय बोर्ड की बैठक चल रही है। इस बैठक में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सहित पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और सांसद शामिल हुए हैं।

Photo: Zee News

टीडीपी के सांसद पी. रविंद्र बाबू ने गठबंधन को लेकर कहा कि, ‘मुख्यमंत्री जो भी फैसला लेंगे, हम उसके साथ हैं। बीजेपी के बजट से हम खुश नहीं है। आंध्र प्रदेश के लिए जो बजट आवंटन किया गया, वह सही नहीं है।’ वहीं, एक अन्य पार्टी नेता के. राममोहन राव ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि, ‘हम बजट के बारे में चर्चा कर रहे हैं। राजनीतिक गठबंधन और राज्य सरकार का विकास दोनों अलग-अलग बातें हैं।’

टीडीपी के इन दो प्रमुख नेताओं के बयानों से स्पष्ट है कि दोनों दलों के बीच मतभेदों की खाई लगातार चौड़ी हो रही है और इसका नतीजा अलगाव के तौर पर भी दिख सकता है।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो चंद्रबाबू नायडू ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी बात की है। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय बजट में राज्य की ‘अनदेखी’ किए जाने से नाराज नायडू ने उद्धव से कहा है कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा नहीं रहना चाहती है।

नवभारत टाइम्स के मुताबिक, शिवसेना के सूत्रों ने यह भी दावा किया कि टीएमसी चीफ और वेस्ट बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी उद्धव के संपर्क में हैं। चूंकि शिवसेना पहले ही बीजेपी से नाता तोड़ने का ऐलान कर चुकी है और अब टीडीपी भी अलग रास्ते तलाश कर ही है। माना जा रहा है कि नायडू ने गठबंधन से अलग होने को लेकर ठाकरे से चर्चा की है।

बता दें बजट में आंध्र प्रदेश की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए टीडीपी ने एनडीए गठबंधन से अलग होने के संकेत दिए थे।TDP सांसद टीजी वेंकटेस ने शुक्रवार (2 फरवरी) को न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा था कि ‘हम संग्राम छेड़ने जा रहे हैं। हमारे पास तीन रास्ते हैं एक कोशिश करो और बने रहो, दूसरा सांसदों का इस्तीफा और तीसरा गठबंधन से अलग होना।’

वहीं, केंद्रीय मंत्री तथा टीडीपी नेता वाईएस चौधरी ने गुरुवार को कहा था कि बजट को देखकर उन्हें निराशा हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे रेलवे, पोलावरम प्रोजेक्ट, अमरावती के लिए पूंजी समेत आंध्र प्रदेश के कई मुद्दों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी राज्य मंत्री वाईएस चौधरी ने कहा कि हम इस बार के बजट से निराश हैं।

चौधरी ने कहा था कि, “नायडू इस बात से बेहद नाराज हैं कि वित्त मंत्री ने आंध्र प्रदेश की जरुरतों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जेटली ने राज्य की जरुरतों पर कोई बात नहीं की और न ही अमरावती को राजधानी बनाने और मेट्रो चलाने के लिए स्पेशल फंड की कोई घोषणा की।”

उन्होंने कहा कि ऐसा माना जा रहा था इस बार के बजट में आंध्र प्रदेश को लेकर बजट में अलग से कुछ ऐलान होगा लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। चौधरी ने कहा कि उन्हें सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं थी। आंध्र प्रदेश के विकास के लिए अधिक ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन सरकार ने तो बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया है।

चौधरी ने कहा कि, “पार्टी इस बार के बजट से बेहद नाराज और दुखी है। इस बजट में आंध्र प्रदेश की जरुरतों जैसे कि अमरावती को राजधानी बनाने के लिए फंड, पोलावरम प्रोजेक्ट, रेलवे जोन इसमें से किसी को भी जगह नहीं दी गई।” उन्होंने कहा कि हम बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं और हम अपने हिस्से के लिए लड़ेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2019 के चुनाव तक पार्टी अपने हिस्से के लिए केंद्र पर दबाव बनाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों से राज्य में कई सारी परियोजनाएं अटकी पड़ी हुई हैं लेकिन केन्द्र सरकार कोई पैसा नहीं दे रही है। इस बजट में भी हमें निराशा ही हाथ लगी।

गौरतलब है कि पिछले दिनों तेलुगू देशम पार्टी के अध्‍यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए से नाता तोड़ने के संकेत दिए थे। इसी के साथ उन्‍होंने कहा था कि वह अपनी दोस्‍ती पूरी तरह निभा रहे हैं, लेकिन अगर यह गठबंधन टूटता है तो इसके लिए बीजेपी ही जिम्‍मेदार होगी। उन्होंने कहा कि, ‘मैं मित्रपक्ष धर्म के चलते कुछ नहीं कहूंगा। उनके नेतृत्व को इस बारे में सोचना चाहिए।’

नायडू ने कहा था कि पिछले कुछ समय से राज्य में बीजेपी के नेता टीडीपी की आलोचना कर रहे हैं। इन्हें रोकने की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व की है। दरअसल, महाराष्ट्र और केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने हाल ही में यह ऐलान किया था कि अगला लोकसभा चुनाव वह अकेले लड़ेगी। शिवसेना के बाद बीजेपी की एक और सहयोगी दल टीडीपी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होने के संकेत दिए हैं।

 

 

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