जांच में चंदा कोचर ICICI आचार संहिता उल्लंघन की दोषी पाई गईं, बोनस समेत अन्य भुगतान रोके जाएंगे

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आईसीआईसीआई बैंक की ओर से कराई गई स्वतंत्र जांच में बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एन श्रीकृष्णा की समिति ने बुधवार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोचर के स्तर पर वार्षिक खुलासों की जांच-पड़ताल में ढिलाई बरती गई और आचार संहिता का उल्लंघन किया गया।

File Photo: Google

रिपोर्ट के आधार पर बैंक के निदेशक मंडल ने बैंक की आंतरिक नीतियों के तहत कोचर के इस्तीफे को उनकी ‘गलतियों पर बर्खास्तगी’ के तौर पर लेने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्णा समिति ने पाया कि वीडियोकोन को कर्ज देने के मामले में उन्होंने हितों के टकराव और जिम्मेदारियों को निभाने के समय बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया है। इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक के स्वामित्व वाली कंपनी को दिया गया।

जांच रिपोर्ट की मिलने के बाद बैंक बोर्ड निदेशकों ने कंपनी से उनके ‘अलगाव’ को बैंक की नीतियों के तहत उन्हें ‘कंपनी से हटाया जाना’ माना, जिसके अंतर्गत उनके मौजूदा और भविष्य के सभी अधिकारों जैसे भुगतान नहीं की गई राशि, बोनस, इंक्रीमेंट और स्टॉक विकल्पों से वंचित कर दिया गया।

जांच रिपोर्ट के आधार पर आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने फैसला लिया है कि बैंक की आंतरिक नीति के हिसाब से कोचर के इस्तीफे को ‘उनके गलत कृत्य के लिए बर्खास्तगी’ के तौर पर लिया जाएगा। इसके अलावा उनके बोनस सहित उनके अन्य भुगतानों को रोका जाएगा।

दूसरी तरफ, चंदा कोचर ने अपनी बर्खास्तगी पर हैरानी और निराशा जताई हैं। पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत निराश और हैरान हूं। मुझे रिपोर्ट की कॉपी भी नहीं दी गई…मैंने 34 वर्षों तक समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ आईसीआईसीआई की सेवा की है। संगठन के हित में जब भी जरूरी हुआ, मैं कठोर कदमों को उठाने से कभी नहीं हिचकिचाई।’

बैंक बोर्ड के फैसले से दुखी कोचर ने कहा, ‘बैंक के इस फैसले से मुझे बहुत पीड़ा हुई है। एक इंडिपेंडेंट प्रफेशनल के तौर पर मैंने अपने करियर में पूरी ईमानदारी, गरिमा और निष्ठा के साथ काम किया है। मुझे एक प्रफेशनल के तौर पर अपने आचरण पर पूरा भरोसा है और मुझे पूरा यकीन है ति आखिर में सत्य की जीत होगी।’

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