कर्नाटक का नहीं होगा अलग झंडा, गृह मंत्रालय ने सिद्धारमैया सरकार के प्रस्ताव को किया खारिज

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केंद्र सरकार ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एस सिद्धारमैया की पृथक राज्य ध्वज (अलग झंडे का प्रस्ताव) की मांग को खारिज करते हुए कहा कि संविधान में राज्यों के अलग झंडे का कोई प्रावधान नहीं है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने संविधान में ‘एक देश एक झंडा’ के सिद्धांत के आधार पर स्पष्ट किया है कि तिरंगा ही पूरे देश का ध्वज है।गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार(18 जुलाई) को कहा कि हम एक देश हैं हमारा एक झंडा है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जो राज्यों के लिये अलग झंडे की अनुमित देता हो या ऐसा करने को प्रतिबंधित करता हो। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि कर्नाटक का अपना एक झंडा है जो जनता का प्रतिनिधित्व करता है सरकार का नही।

राज्य में तमाम बड़े जनआयोजनों में इस झंडे का इस्तेमाल किया जाता है। इस झंडे को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सरकार द्वारा नहीं फहराया जा सकता है। गौरतलब है कि यह विवाद कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य के लिये अलग झंडा इस्तेमाल किये जाने की पहल से शुरू हुआ।

विपक्षी दलों द्वारा सरकार की इस पहल का विरोध करने पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सरकार की पहल का बचाव भी किया। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि कर्नाटक में दो झंडों के इस्तेमाल को कुछ लोगों ने अदालत में भी चुनौती दी है और इस पर अभी फैसला आना बाकी है।

क्या है मामला?

दरअसल, कांग्रेस की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार ने मंगलवार(18 जुलाई) को राज्य ध्वज का डिजाइन तय करने के लिये आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है। जिसे राज्य के लिए एक अलग झंडा डिजाइन करने और इसके लिए कानूनी आधार मुहैया कराने के बाबत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

यदि राज्य के लिए अलग झंडे की कवायद को अमलीजामा पहना दिया जाता है तो कर्नाटक संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसका आधिकारिक तौर पर अलग झंडा होगा। कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता वाली समिति पिछले महीने गठित की गई।

जानेमाने कन्नड़ लेखक एवं पत्रकार पाटिल पुटप्पा और समाजसेवी भीमप्पा गुंडप्पा गडपा की ओर से दिए गए ज्ञापन के बाद इस समिति का गठन किया गया। पुटप्पा और गडपा ने अपने ज्ञापन में सरकार से अनुरोध किया था कि ‘कन्नड़ नाडु’ के लिए एक अलग झंडा डिजाइन किया जाए और इसे कानूनी आधार दिया जाए।

इस समिति में कार्मिक एवं प्रशासनिक सेवा, गृह, कानून एवं संसदीय कार्य विभागों के सचिव भी शामिल किए गए हैं। इनके अलावा, कन्नड़ साहित्य परिषद, कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और हम्पी स्थित कन्नड़ यूनिवसर्टिी के कुलपति भी समिति के सदस्य बनाए गए हैं। कन्नड़ एवं संस्कृति विभाग के निदेशक समिति के सदस्य सचिव होंगे।

बता दें कि कर्नाटक के स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल एक नवंबर को राज्य के कोने-कोने में अभी जो झंडा फहराया जाता है, वह मोटे तौर पर लाल एवं पीले रंग का ‘कन्नड़ झंडा ‘ है। इस झंडे का डिजाइन 1960 के दशक में वीरा सेनानी एम ए रामामूर्ति ने तैयार किया था।

सिद्धारमैया सरकार की ओर से समिति के गठन का कदम पिछली बीजेपी सरकार के रुख से अलग है। साल 2012 में सदानंद गौड़ा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया था कि उसने दो रंग वाले कन्नड़ झंडे को राज्य का आधिकारिक झंडा घोषित करने के सुझाव को स्वीकार नहीं किया है, क्योंकि अलग झंडा ‘देश की एकता एवं अखंडता के खिलाफ’ होगा।

 

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