चुनाव आयाेग ने शुक्रवार (7 सितंबर) को कहा कि चार राज्यों के साथ तेलंगाना में भी चुनाव कराने के बारे में फैसला जमीनी हकीकत का अध्ययन किए जाने के बाद ही लिया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने एक टेलीविजन चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि संवैधानिक व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर ही तेलंगाना का चुनाव अन्य राज्यों के साथ करने का निर्णय लिया जाएगा। वह पहले देखेंगे कि चुनाव कराने के लिए क्या तैयारियां हुई हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर चुनाव पहले कराए जाते हैं तो लोग कहेंगे कि मैच फिक्स किया हुआ है और अगर देर से चुनाव कराए जाते हैं तो राजनीतिक दल उसका विरोध करेंगे और कहा जायेगा कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री को लोक लुभावन फैसले लेने के लिए अधिक समय दिया गया है।
समाचार एजेंसी वार्ता के मुताबिक, उन्होंने कहा कि चुनाव कराने के बारे में समय निर्धारित करने का अधिकार किसी नेता को नहीं है बल्कि यह काम चुनाव आयोग का है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कह चुका है कि किसी भी विधानसभा के भंग होने के बाद वहां जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए।
सीईसी ने कहा कि चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए। इस मामले में अदालतों के कई फैसले और जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा। बता दें कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में इस वर्ष चुनाव होने हैं। तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल 19 जून, 2019 को समाप्त होने वाला था, लेकिन तेलंगाना राष्ट्र समिति सरकार ने सदन भंग कर जल्द चुनाव करवाने का रास्ता चुना है।