केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सैकड़ों साल पुरानी परंपरा बुधवार (2 जनवरी) को टूट गई। सबरीमाला में ‘प्रतिबंधित’ उम्र वाली दो महिलाओं ने इतिहास रचते हुए बुधवार तड़के केरल के सबरीमाला में भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पहली बार सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं ने प्रवेश कर पूजा-अर्चना की है और इस तरह से देखा जाए तो मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
हालांकि, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री ने केरल में भूचाल ला दिया है। महिलाओं के प्रवेश के विरोध में हिंदू संगठनों द्वारा आहूत सुबह से शाम तक 12 घंटे की हड़ताल बृहस्पतिवार (3 जनवरी) सुबह से शुरू हो गई। राज्य में हड़ताल का जबरदस्त असर दिख रहा है। सड़कों पर सन्नाटा है और तमाम बसें ठप हैं। इससे पहले मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर बुधवार को विरोध-प्रदर्शन के दौरान एक शख्स जख्मी हो गया था और आज उसने दम तोड़ दिया।
दरअसल, बुधवार को महिलाओं के प्रवेश के बाद काफी प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान सीपीआईएम और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई, जिसमें एक 55 वर्ष के बरीमाला कर्म समिति के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, केरल के पंडालम में बुधवार को CPIM और BJP कार्यकर्ताओं के बीच झड़प में घायल हुए सबरीमाला कर्म समिति के एक 55 वर्षीय कार्यकर्ता ने गुरुवार को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है।
Kerala: A 55-year-old Sabarimala Karma Samiti worker who was injured yesterday in a clash between CPIM & BJP workers, in Pandalam, has succumbed to his injuries; Police investigation underway. #SabarimalaTemple
— ANI (@ANI) January 3, 2019
यह हड़ताल विभिन्न हिंदुत्ववादी समूहों के एक संयुक्त संगठन ‘सबरीमाला कर्म समिति’ द्वारा बुलाई गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहा है। बीजेपी बंद का समर्थन कर रही है जबकि कांग्रेस-नीत यूडीएफ बृहस्पतिवार को “काला दिवस” मना रहा है। राज्य के डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने हड़ताल के दौरान हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
BJP कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों पर बोला हमला
बुधवार को महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की खबर आग की तरह फैल गई और कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने राजमार्गों को बाधित किया जिसके कारण दुकानें एवं बाजार बंद करने पड़े। पुलिस ने कहा कि कई स्थानों पर सत्तारूढ माकपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई जिससे तनाव पैदा हो गया। पथनमतित्ता जिले के कोन्नी और कोझेनचेरी में सरकारी केएसआरटीसी बसों को नुकसान पहुंचाया गया। मंदिर इसी जिले में स्थित है। पूरे राज्य में मंदिरों से जुड़े देवस्वोम बोर्ड के कार्यालयों को बंद कर दिया गया।
इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इतना ही नहीं अधिकारियों ने कहा कि सचिवालय के सामने बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मीडियाकर्मियों पर भी हमला किया। बुधवार के बाद आज यानी गुरुवार को भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के विरोध में हिंदू संगठनों द्वारा आहूत हड़ताल के दौरान भी बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा कई मीडियाकर्मियों को निशाना बनाया गया। इतना ही नहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा महिला मीडियाकर्मियों पर भी हमले किए गए।
Trivandrum: Asianet cameraperson Biju attacked by BJP workers during protest over #SabarimalaTemple issue. #Kerala pic.twitter.com/RGemTsBDbz
— ANI (@ANI) January 3, 2019
Kairali TV cameraperson Shajila Fathima, who was manhandled by BJP cadre as they marched to Kerala secretariat on Sabarimala, resumes duty ignoring the pain. Salutes. #Sabarimala #pressfreedom #kerala pic.twitter.com/PJsOuIaklo
— JournaLust (@jinoyjosep) January 3, 2019
Shaajila Ali Fathima, camera person for Kairali TV was heckled and attacked by
Sangh Parivar goons in Trivandrum yesterday. pic.twitter.com/ioJE6zT1ee— geeta seshu (@geetaseshu) January 3, 2019
सबरीमाला में प्रवेश कर महिलाओं ने रचा इतिहास
गौरतलब है कि रजस्वला आयु वर्ग की दो महिलाओं कनकदुर्गा (44 वर्ष) और बिंदू (42 वर्ष) ने हिन्दूवादी संगठनों की तमाम धमकियों की परवाह न करते हुए बुधवार (2 जनवरी 2019) तड़के भगवान अयप्पा के सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर सदियों पुरानी परंपरा तोड़ दी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 10 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी।
काले रंग के परिधान पहने रजस्वला वाली उम्र की दोनों महिलाओं ने हिन्दूवादी संगठनों की तमाम धमकियों की परवाह न करते हुए भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर सदियों पुरानी परंपरा तोड़ दीं। कनकदुर्गा (44 वर्ष) और बिंदू (42 वर्ष) पुलिस की निगरानी वाले पवित्र मंदिर में पहुंचीं। काले परिधान पहने और चेहरों को ढकी महिलाओं ने तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर में प्रवेश किया।
महिलाओं के घर के बाहर पुलिस तैनात
बिंदू एवं कनकदुर्गा के घरों के बाहर पुलिस बलों को तैनात किया गया है। बिंदू कॉलेज में लेक्चरर और भाकपा (माले) कार्यकर्ता हैं। वह कोझिकोड जिले के कोयिलैंडी की रहने वाली है। कनकदुर्गा मलप्पुरम के अंगदीपुरम में एक नागरिक आपूर्ति कर्मी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की लेकिन कट्टर श्रद्धालुओं के विरोध के कारण वे प्रवेश नहीं कर पाईं। बिंदू ने बाद में कहा कि उन्हें अयप्पा श्रद्धालुओं के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।
समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा के मुताबिक, उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘सुबह पहाड़ी चढ़ते हुए पहले की तरह इस बार कोई ‘नामजप’ विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। वहां श्रद्धालु मौजूद थे और उन्होंने हमें रोका नहीं और न ही विरोध किया। पुलिस ने पाम्बा से हमें सुरक्षा प्रदान की।’’ सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश करने का स्वागत किया और इसे ‘समानता की जीत’ करार दिया।