मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को भेजे गए नोटिस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें गुस्से पर काबू करना चाहिए और माहौल को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए। अदालत ने कहा कि मुख्य सचिव को नोटिस भेजना आग में घी डालने जैसा है। दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की ओर से आहूत बैठक में कथित रूप से भाग नहीं लेने के कारण मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को भेजे गए नोटिस के मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट करने और विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होने का नोटिस भेजे जाने को लेकर हाई कोर्ट ने सोमवार (5 मार्च) को टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार और नौकरशाही को माहौल को ठंडा करने के प्रयास करने चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि, ‘सरकार और नौकरशाही को संबंधों को सुधारने के प्रयास करने चाहिए। दिल्ली के मुख्य सचिव को विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होने का नोटिस देना, ऐसे मामलों को गरमाने का काम करता है।’
दरअसल, हाई कोर्ट का इशारा दिल्ली में पिछले 15 दिनों से केजरीवाल सरकार और नौकरशाहों के बीच चल रहे तनाव को लेकर है। रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को मुख्य सचिव ने दिल्ली हाई कोर्ट में विशेषाधिकार समिति के नोटिस को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी। दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक में कथित रूप से भाग नहीं लेने पर प्रकाश को नोटिस जारी कर पेश होने को कहा गया था।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्य सचिव ने शिकायत दर्ज कराई है कि AAP के 2 विधायकों ने उनके साथ कथित तौर पर मारपीट की थी। अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया है कि पिछले महीने 19 फरवरी की देर रात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर बैठक के दौरान AAP विधायकों ने उनके साथ कथित तौर पर मारपीट की। इस मारपीट की शिकायत अंशु प्रकाश ने पुलिस में दर्ज कराई थी। प्रकाश की शिकायत के बाद की गई मेडिकल जांच में उसके साथ मारपीट की पुष्टि भी हुई है।