राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने शनिवार (18 जनवरी) को कहा कि अगर भाजपा दिल्ली में सत्ता में आती है तो शहर की सरकारी जमीनों को धार्मिक संरचनाओं के अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा।

पश्चिमी दिल्ली के सांसद ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा कि यहां सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर निर्मित मस्जिदों को निश्चित रूप से गिराया जाएगा। बता दें कि, देश की राजधानी दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए मतदान आठ फरवरी को होगा और 11 फरवरी को चुनाव परिणाम की घोषणा होगी।
भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने शनिवार को हिंदी में ट्वीट किया, ‘दिल्ली में भाजपा की सरकार बनते ही उन सरकारी जमीनों को खाली कराया जाएगा जिन पर धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया है। दिल्ली में 54 से ज्यादा मस्जिद, मदरसे सरकारी जमीन पर बने होने की शिकायत अभी तक आई है। सूची दिल्ली के उपराज्यपाल को पहले ही दी जा चुकी है।’
दिल्ली में भाजपा की सरकार बनते ही सरकारी जमीनों पर बने धार्मिक स्थलों को सरकारी जमीन से खाली कराया जाएगा ।दिल्ली में 54 से ज़्यादा मस्जिद, मदरसे सरकारी जमीन पर बने होने की शिकायत अभी तक आई है। सूची दिल्ली के उपराज्यपाल को पहले ही दी जा चुकी है।#PTI
— Parvesh Sahib Singh (@p_sahibsingh) January 18, 2020
सोमवार को उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें दिल्ली में किसी भी मंदिर या गुरुद्वारा द्वारा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किए जाने की शिकायत मिलेगी तो वह इस मामले को प्रशासन के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘लेकिन कोई भी मंदिर या गुरुद्वारा सरकारी जमीन पर बना हुआ नहीं मिला। सिर्फ मस्जिद ही सरकारी जमीन पर बने हुए मिले हैं।’
पिछले साल जून में वर्मा ने उप राज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिख कर कथित तौर पर सरकारी जमीनों पर बने मस्जिदों और क्रबिस्तानों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने कार्रवाई के लिए 50 स्थलों का नाम भी गिनाया था। हालांकि, वर्मा के दावे को संज्ञान में लेते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने एक तथ्य अन्वेषण समिति का गठन भी किया था जिसने जांच के बाद उनके दावे को ‘झूठा’ करार दिया।
दिल्ली में आठ फरवरी को मतदान होगा और परिणाम 11 फरवरी को घोषित होंगे। दिल्ली में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है। हालांकि, कांग्रेस की स्थिति भी पिछले चुनाव के मुकाबले मज़बूत लग रही है। (इंपुट: भाषा के साथ)