VIDEO: इंदौर की महापौर और BJP विधायक मालिनी गौड़ बोलीं- ‘राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान एक ही होता है, गान को ही गीत बोलते हैं’

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मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम के बजट सम्मेलन के दौरान कुछ लोगों की गफलत के कारण बुधवार को उस वक्त विवाद खड़ा हो गया, जब राष्ट्रगान “जन-गण-मन” का गायन बीच में रोककर अचानक राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” गाना शुरू कर दिया। इस वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसके एक दृश्य में महापौर और स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ भी दिखाई दे रही हैं। बता दें कि इंदौर नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है।

इस मामले पर सफाई मांगे जाने पर मालिनी गौड़ ने हैरान करने वाला जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान एक ही होता है। एक निजी चैनल के रिपोर्टर ने मालिनी से पूछा कि राष्ट्रगान क्या है? थोड़ा एक लाइन गाकर सुना दीजिए। इस महापौर ने जवाब देते हुए कहा, “मेरे से गाया नहीं जाता है…खड़ा होना पड़ेगा। राष्ट्रगान का अपमान होता है। आप सभी को मालूम है राष्ट्रगान क्या है, जन-गण-मन….”

इस पर रिपोर्टर ने फिर पूछा- “और राष्ट्रगीत क्या है?” फिर मालिनी ने जवाब देते हुए कहा, “राष्ट्रगीत यही है न…जन-गण-मन….राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान एक ही होता है…गान को ही गीत बोलते हैं।” फिर रिपोर्टर ने पूछा- “इसलिए शायद कंफ्यूजन हुई।” इस पर उन्होंने हुए कहा, “कहे का कंफ्यूजन…?” फिर रिपोर्टर ने याद दिलाया कि राष्ट्रगान बीच में ही रोक दिया गया था…इस पर भाजपा नेता ने रिपोर्टर से सवाल करते हुए कहा, “किसने रोका? किसी ने भी नहीं रोका…बल्कि राष्ट्रगान जब शुरू हुआ तो विपक्षी नेता चिल्ला रहे थे…उन्होंने अपमान किया है।”

इस वीडियो को कांग्रेस मध्य प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो के साथ कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा, “बीजेपी विधायक एवं इंदौर महापौर को राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का फ़र्क़ नही पता: इंदौर की महापौर और तीन बार की बीजेपी विधायक मालिनी गौड़ जी राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को एक ही बता रही है। दिया तले अंधेरा तो सुना था,
पर इतना घना अंधेरा..?”

दरअसल, चश्मदीद सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि नगर निगम के बजट सम्मेलन की शुरुआत के दौरान पार्षदों और अन्य लोगों ने राष्ट्रगान (जन-गण-मन) गाना शुरू कर दिया। वहां उपस्थित अन्य लोगों ने भी इसका समवेत स्वर में अनुसरण शुरू कर दिया। लेकिन गलती का अहसास होते ही निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के सम्मेलन में कुछ ही सेकंड बाद “जन-गण-मन” को अधूरा छोड़ दिया गया और अचानक “वंदे मातरम” का गायन शुरू कर दिया गया। फिर इस राष्ट्रगीत को पूरा गाया गया।

इस बारे में पूछे जाने पर नगर निगम के सभापति अजय सिंह नरूका ने “पीटीआई-भाषा” से कहा, “यह चूक संभवतः किसी पार्षद की जुबान फिसलने से हुई। हालांकि, इस चूक के पीछे मुझे किसी की कोई दुर्भावना प्रतीत नहीं होती। लिहाजा इस मामले को बेवजह तूल नहीं दिया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि यह पुरानी परंपरा है कि नगर निगम के सत्र की शुरूआत में राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” गाया जाता है, जबकि राष्ट्रगान “जन-गण-मन” के गायन के साथ सदन का सत्रावसान होता है।

 

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