बिहार में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के करीब 320 कर्मियों को भेजा गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनडीआरएफ की करीब सात टीमें पहले ही बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच चुकी हैं। हर टीम में 45-45 कर्मी हैं। बता दें कि किशनगंज सहित कई जिलों में तो घरों में भी पानी घुस गया है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने आने वाले दिनों में राज्य में अभी इससे भी भारी बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया है। दरअसल, बिहार में बाढ़ से स्थिति भयावह हो गई है। बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बात की है।
अररिया, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, सीतामढ़ी, पूर्वी चम्पारण और पछ्चिमी चंपारण जिलों के करीब दो दर्जन से ज्यादा प्रखंडों में स्थिति भयावह है। इसके अलावा अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्वी चंपारण में कई जगहों पर रेल ट्रैक पर बाढ़ का पानी बह रहा है। इस वजह से रेल यातायात बाधित हुई है। किशनगंज के पीड़ितों ने नीतीश सरकार लगाया भेदभाव आरोप
इस बीच किशनगंज जिले के बाढ़ पीड़ितों ने नीतीश सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि उनके जिले में इतनी भयंकर बाढ़ आई है, लेकिन नीतीश सरकार की तरफ से जिले के लोगों को किसी भी प्रकार की मदद मुहैया नहीं कराई जा रही है।
लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन की तरफ से मदद के नाम पर ऊंट के मुंह मे जीरा जैसा काम किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, जिले में अब तक तीन से चार लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति हो रहा है।लोगों का आरोप है कि किशनगंज जिले के बाढ़ पीड़ितों के साथ राज्य सरकार हर साल भेदभाव करती है। लोगों का कहना है कि पिछले साल भी भारी बाढ़ के दौरान नालंदा सहित आसपास के सभी बाढ़ग्रस्त जिलों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हवाई दौरा किया था, लेकिन दोनों में से किसी ने भी किशनगंज जिले के पीड़ितों की परेशानियों को जानने की जहमत नहीं उठाई।