कर्नाटक: शहरी निकाय चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका, 498 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस

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अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ नगर निगम में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कर्नाटक में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक शहरी निकाय चुनावों में राज्य में सत्तारुढ़ भाजपा को 437 सीटें मिली हैं तो कांग्रेस के खाते में 498 सीटें गई हैं।

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1184 सीटों में से 498 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 58 शहरी निकायों के 1184 वार्डों में 27 दिसंबर को मतदान हुआ था और गुरुवार को परिणाम घोषित किए गए। वहीं, इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 437, जनता दल (सेक्यूलर) ने 45 और अन्य के खाते में 204 सीटें गई हैं। हालांकि, सिटी म्युनिसिपल काउंसिल में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। नगर पालिका परिषद के 166 वार्डों में से कांग्रेस को 61, भाजपा को 67, जेडीएस को 12 जबकि अन्य को 26 सीटें मिली हैं।

टाउन म्युनिसिपल काउंसिल में कांग्रेस को सर्वाधिक सीटें मिलीं हैं। टाउन म्युनिसिपल काउंसिल के 441 वार्डों में से कांग्रेस को 201, भाजपा को 176 और जेडीएस को 21 सीटें मिली हैं। वहीं, कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने नतीजों के आने के बाद राज्य के लोगों को धन्यवाद दिया है। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि, पार्टी की जीत इस बात का साफ संकेत है कि दक्षिणी राज्य के लोगों पर धर्मांतरण विरोधी कानून जैसे मुद्दों का कोई असर नहीं रहा और वे ‘ भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंकने का इंतजार’ कर रहे हैं।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, “हाल के उप-चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट है कि लोग नाजायज और भ्रष्ट भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का इंतजार कर रहे हैं, जिसने प्रगति पर ग्रहण लगा दिया है और शासन को पंगु बना दिया है।” उन्होंने कहा कि कर्नाटक में स्थानीय निकाय चुनावों का मत प्रतिशत भी राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोकप्रियता में भारी गिरावट का संकेत देता है।

कांग्रेस के कर्नाटक मामलों के प्रभारी सुरजेवाला ने कहा, “कांग्रेस का मत प्रतिशत 42.06 फीसदी रहा जबकि भाजपा और जद (एस) का मत प्रतिशत क्रमशः 36.9 प्रतिशत और 3.8 प्रतिशत रहा।” उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों ने स्पष्ट रूप से स्थापित किया है कि मतदाता मूल्य वृद्धि, गिरती आय, नौकरियों, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लोक कल्याण के प्रति भाजपा सरकार की उदासीनता पर ध्यान देता है।

सुरजेवाला ने कहा, “धर्मांतरण विरोधी कानून और मंदिरों के प्रबंधन जैसे गढ़े हुए मुद्दों पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया है।” उन्होंने कहा, “प्रगतिशील कन्नड़ लोग महसूस करते हैं कि इस तरह के मुद्दे किसी और की नहीं बल्कि विभाजनकारी ताकतों की मदद करते हैं। जबतक नाजायज और भ्रष्ट बोम्मई सरकार रहेगी है, तबतक वह विकास और प्रगति के लिए अभिशाप होगा।”

इसके साथ ही रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डी के शिवकुमार, कांग्रेस विधायक दल के नेता नेता सिद्धरमैया, विधायकों और पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को चुनावी नतीजों पर बधाई दी। (इंपुट: भाषा के साथ)

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