बीएचयू के इतिहास पाठ्यक्रम से गांधी, भगत सिंह हुए बाहर गुरु गोलवर्कर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को किया शामिल

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बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने महात्मा गांधी को एमए प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम से हटा दिया है तथा उनकी जगह अब वीडी सावरकर, डॉ. हेडगेवार, गुरु गोलवर्कर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं. दीन दयाल उपाध्याय को शामिल किया गया है। इसके अलावा एमए प्रथम वर्ष के छात्रों को गांधी, गोखले, नौरोजी सहित कई महान राजनीतिक विचारकों को नहीं पढ़ाया जाएगा। 
 
बीएचयू के इतिहास विभाग ने एमए प्रथम वर्ष के चतुर्थ पेपर (मॉर्डन इंडियन पॉलिटिकल थिंकर) पाठ्यक्रम में जिन नये नामों को शामिल किया है उसमें वीडी सावरकर, डॉ. हेडगेवार, गुरु गोलवर्कर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं. दीन दयाल उपाध्याय के नाम प्रमुख हैं।
इसके अलावा समाज सुधारक और धार्मिक विचारक के रूप में शुमार राम मोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, बंकिम चंद्र चटोपाध्याय, स्वामी विवेकानंद, भूदेव मुकोपाध्याय, महात्मा अरबिंदो को भी राजनीतिक विचारकों की श्रेणी में शामिल किया है। मोहम्मद अली जिन्ना तो हैं पाठ्यक्रम में मगर भारतीय विचारक रफी अहमद किदवई को जगह नहीं मिली है। 
नियमानुसार तीन साल पर पाठ्यक्रम में संशोधन होना चाहिए पर ऐसा नहीं हो सका और लगातार चौथे साल भी एमए प्रथम वर्ष के छात्रों को यही पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। बीएचयू के इतिहास विभाग ने एमए प्रथम वर्ष के लिए तैयार पाठ्यक्रम से महात्मा गांधी, दादा भाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, राजबिहारी बोस और यहां तक कि भगत सिंह को भी बाहर कर दिया है।
इसके अलावा नए पाठ्यक्रम में जय प्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया, एमएन राय, गोविंद बल्लभ पंत, रफी अहमद किदवई के भी नामों को शामिल नहीं किया गया है।
पत्रिका की खबर के अनुसार, इतिहासकार भानु कपिल ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसा कैसे किया जा सकता है। एक ही विचारधारा के लोगों को कैसे शामिल किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि भगत सिंह से बड़ा क्रांतिकारी कौन हो सकता है, लेकिन उन्हें भी पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है।
उनकी जगह भूदेव चटर्जी, वीडी सावरकर, डॉ. हेडगेवार, गुरु गोलवर्कर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं. दीन दयाल उपाध्याय को जगह दी गई है।
 
इसके अलावा जिस गांधी के नाम पर वर्तमान केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री खुद स्वच्छता अभियान लागू करते हैं। वहीं नाम पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया। इस पाठ्यक्रम में दादा भाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, सुरेंद्र नाथ बनर्जी, राजबिहारी बोस, भगत सिंह, डॉ. राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण, एमएन राय को कोई स्थान नहीं। 
 
जब इस संबंध में कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी से संपर्क किया तो वह भी यह जान कर चकित रह गए कि महात्मा गांधी और भगत सिंह जैसी शख्सियत तक को पाठ्यक्रम से कैसे बाहर रखा जा सकता है। उन्होंने कहा इस मसले पर वह जल्द ही ठोस निर्णय लेंगे। 
 
जबकि इस पर इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अरुणा सिन्हा ने कहा कि मैने तो चार साल पहले संतुलित पाठ्यक्रम बनाया था। उसमें महात्मा गांधी, भगत सिंह को शामिल किया था। लेकिन मेरे अध्यक्ष पद से हटने के बाद इस पद पर आए लोगों ने पाठ्यक्रम में परिवर्तन की कोशिश में सारे नेशनल मूवमेंट के लोगों को ही बाहर कर दिया। 
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