उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक व राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण से मुलाकात करने की इजाजत नहीं दी है। रिपोर्ट के मुताबिक जेल प्रशासन ने स्पष्ट कह दिया है कि किसी भी तरह की राजनीतिक मुलाकात की अनुमति नहीं दी जाएगी। बता दें कि चंद्रशेखर उर्फ रावण शब्बीरपुर घटना के बाद से रासुका के तहत एक साल से अधिक समय से सहारनपुर की जेल में बंद हैं।
गुरुवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया कि यूपी सरकार ने उन्हें चंद्रशेखर से मुलाकात करने की इजाजत नहीं दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, “चंद्रशेखर रावण, दलितों के संघर्षशील नेता, को UP की भाजपा सरकार ने राजनैतिक द्वेष के कारण काफ़ी समय से जेल में रखा हुआ है। मैं उनसे मिलने जाना चाहता था लेकिन ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है की योगी सरकार ने मुझे इजाज़त नहीं दी।”
चंद्रशेखर रावण, दलितों के संघर्षशील नेता, को UP की भाजपा सरकार ने राजनैतिक द्वेष के कारण काफ़ी समय से जेल में रखा हुआ है। मैं उनसे मिलने जाना चाहता था लेकिन ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है की योगी सरकार ने मुझे इजाज़त नहीं दी।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 10, 2018
दरअसल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिला प्रशासन को पत्र भेजा था कि अरविंद केजरीवाल 13 अगस्त को सहारनपुर आएंगे और देशद्रोह और हिंसा के आरोप में जेल में बंद चंद्रशेखर से मुलाकात करेंगे। इस पर जिलाधिकारी ने जेल प्रशासन से रिपोर्ट तलब की। जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में कैद किसी भी बंदी से मिलने के लिए जेल मैनुअल में स्पष्ट है कि बंदी या कैदी से उसके परिजन, मित्र या वकील ही मिल सकते हैं। राजनीतिक मुलाकात का जेल मैनुअल में कोई प्रावधान नहीं है।
बता दें कि सहारनपुर में जातीय हिंसा भड़काने का आरोप में रावण को यूपी पुलिस ने 8 जून को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार किया था। सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद से ही चंद्रशेखर फरार चल रहा था। उसके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। उस पर 12 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।
सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में गत पांच मई को हुई जातीय हिंसा के पीछे चंद्रशेखर का हाथ बताया जा रहा था। उसकी गिरफ्तारी के लिये उत्तर प्रदेश पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया था, जिसमें 10 पुलिस निरीक्षकों को शामिल किया गया था। एसआईटी को पांच मई से 23 मई के बीच सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा की कई घटनाओं से जुड़े 40 मामलों की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी।