अमेरिका में इलाज करा रहे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने चंदा कोचर मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को शुक्रवार (25 जनवरी) को निशाने पर लिया। उन्होंने सीबीआई को दुस्साहस से बचने तथा सिर्फ दोषियों पर ध्यान देने की नसीहत दी। बता दें कि जेटली ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब एक ही दिन पहले सीबीआई ने चंदा कोचर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में बैंकिंग क्षेत्र के के.वी.कामत तथा अन्य को पूछताछ के लिए नामजद किया है।
जेटली ने ट्वीट किया कि भारत में दोषियों को सजा मिलने की बेहद खराब दर का एक कारण जांच तथा पेशेवर रवैये पर दुस्साहस एवं प्रशंसा पाने की आदत का हावी हो जाना है। उन्होंने ने जांच अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मेरी हमारे जांच अधिकारियों को सलाह है कि वो साहसिक कदम उठाने की बजाय महाभारत में अर्जुन को दी गई सलाह को फॉलो करें। सिर्फ मछली की आंख पर ध्यान लगाएं।
Sitting thousands of kilometers away, when I read the list of potential targets in the ICICI case, the thought that crossed my mind was again the same – Instead of focusing primarily on the target, it is a journey to no where (everywhere).
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 25, 2019
Professional investigation targets the real accused on the basis of actual and admissible evidences. It rules out fanciful presumptions. There is no personal malice or corruption. It targets the guilty and protects the innocent.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 25, 2019
जेटली ने कहा, ‘‘पेशेवर जांच और जांच के दुस्साहस में आधारभूत अंतर है। हजारों किलोमीटर दूर बैठा मैं जब आईसीआईसीआई मामले में संभावित लक्ष्यों की सूची पढ़ता हूं तो एक ही बात दिमाग में आती है कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय अंतहीन यात्रा का रास्ता क्यों चुना जा रहा है? यदि हम बैंकिंग उद्योग से हर किसी को बिना सबूत के जांच में शामिल करने लगेंगे तो हम इससे क्या हासिल करने वाले हैं या वास्तव में नुकसान उठा रहे हैं।’’
Professional investigation targets the real accused on the basis of actual and admissible evidences. It rules out fanciful presumptions. There is no personal malice or corruption. It targets the guilty and protects the innocent.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 25, 2019
सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में चंदा कोचर और उनके पति के खिलाफ दर्ज किया है मामला
बता दें कि सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रूपए के कर्ज को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के सिलसिले में यह मामला दर्ज किया है।
प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद एजेंसी ने मुंबई और औरंगाबाद में चार स्थानों पर छापे मारे। एजेंसी ने वीडियोकॉन समूह, न्यूपावर रिन्यूएबल्स और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालयों पर छापे मारे। अधिकारियों के मुताबिक वेणुगोपाल धूत के अलावा उनकी कंपनियों वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सुप्रीम एनर्जी और न्यूपावर रिन्यूएबल्स को भी आरोपी बनाया गया है।
न्यूपावर कंपनी का संचालन दीपक कोचर द्वारा किया जाता है जबकि सुप्रीम एनर्जी की स्थापना धूत ने की थी। एजेंसी ने सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं तथा भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।
क्या है आरोप?
यह आरोप है कि मई 2009 में चंदा कोचर द्वारा बैंक की सीईओ का पदभार ग्रहण करने के बाद कर्जों को मंजूर किया गया और इसके बाद धूत ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर में अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी के माध्यम से निवेश किया।प्राथमिकी में कहा गया है कि सीबीआई इन ऋणों की मंजूरी के सिलसिले में बैंकिंग उद्योग के कुछ बड़े नामों की भूमिका की जांच करना चाहती है।
इसमें कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक के मौजूदा सीईओ संदीप बख्शी, संजय चटर्जी, ज़रीन दारुवाला, राजीव सभरवाल, के वी कामथ और होमी खुसरोखान उन समितियों में शामिल थे जिसने ऋणों को मंजूरी दी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दिए गए कर्ज बाद में गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गए, जिससे बैंक को नुकसान हुआ वहीं आरोपियों और कर्ज लेने वालों को अनुचित फायदा हुआ।