ट्विटर सीईओ के खिलाफ डिबेट के दौरान अर्नब गोस्वामी और दक्षिणपंथी समर्थक पैनलिस्टों के पाखंड का हुआ पर्दाफाश

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माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जैक डोरसे कथित ब्राह्मणवाद विरोधी एक पोस्टर को हाथ में थामने की वजह से विवादों में आ गए हैं। इस पोस्टर की वजह से सोशल मीडिया पर डोरसे की काफी आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना के बाद मंगलवार (20 नवंबर) को ट्विटर को इसके लिए सफाई देनी पड़ी। ट्विटर ने इस मामले को शांत करते हुए कहा है कि वह हर तबके की आवाज सुनने में यकीन करता है।

ट्विटर के सीईओ जैक ने पोस्टर अपने हाथों में लेकर तस्वीर खिंचवाई तो सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया। जैक ने अपने हाल के भारत दौरे पर कुछ भारतीय महिलाओं के साथ एक बैठक की थी और उसके बाद ये तस्वीर सामने आई थी। तस्वीर सामने आने के बाद Brahminical Patriarchy शब्द के इस्तेमाल पर तीखी बहस छिड़ गई और सोशल मीडिया पर मौजूद एक तबके ने इसे ‘ब्राह्मणों के खिलाफ’ और ‘ब्राह्मणों के प्रति नफरत और पूर्वाग्रह से ग्रस्त’ बताया।

इस पोस्टर को बीजेपी के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की मदद से अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ की स्थापना करने वाले अर्नब गोस्वामी मंगलवार (20 नवंबर) काफी गुस्से में थे। गोस्वामी और उनके डिबेट में शामिल चयनित पैनलिस्टों की मौजूदगी में ट्विटर के सीईओ के इस कदम को हिंदू विरोधी करारा दिया। गोस्वामी रिपब्लिक टीवी पर हैशटैग #TwitterControversy इस्तेमाल किया, जो बाद में ट्विटर पर ट्रेंड भी हो गया।

गोस्वामी ने कहा कि मुझे लगता है कि ट्विटर बिल्कुल पक्षपाती है। ट्विटर पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्विटर लोगों का इस्तेमाल कर रहा है, मैं अक्सर कहता हूं कि ट्विटर को हम लोग फायदा पहुंचाते हैं। ट्विटर लुटियंस मीडिया के हाथों भुगतान किया जाने वाला एक चीज है और कुछ नहीं। उसको देश के बाकी क्लास से समस्या है। अर्नब ने इसके आगे भी अपने डिबेट में ट्विटर पर जमकर भड़ास निकाला।

गोस्वामी ने ट्विटर को ‘मृत’ घोषित करते हुए कहा कि अब इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म का कोई विशेष महत्व नहीं रह गया है। ट्विटर अब पूरी तरह से खत्म हो चुका है। लेकिन इस दौरान गोस्वामी खुद अपने ही दावों में घिर गए। दरअसल, जिस ट्विटर को वह मरा हुआ बता रहे थे उसी प्लेटफार्म पर हैशटैग #TwitterControversy के जरिए ट्विटर को ही बढ़ावा दे रहे थे। लोगों ने इसे दोहरा मापदंड करार दिया।

इतना ही नहीं अर्नब के डिबेट में शामिल दक्षिणपंथी विचारधारा की तरफ झुकाव रखने वाले पैनलिस्टों के पाखंड और दावों का पर्दाफाश हो गया। पैनलिस्ट में शामिल राजीव मल्होत्रा, जो एक हिंदुत्व समर्थक भी है, ने भारत को ट्विटर की तरह अपनी माइक्रो ब्लागिंग साइट विकसित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि भारत को भी चीन की तरह अपना सोशल मीडिया प्लेटफार्म बनाना चाहिए।

वहीं, आनंद रंगनाथन नाम के एक अन्य पैनलिस्ट ने हास्यास्पद दावा किया। रंगनाथन ने कहा कि सभी जानते हैं कि ट्विटर से ग्रस्त है। उन्होंने दावा किया कि पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम और सुचेता दलाल के लाखों फॉलोवर्स होने के बावजूद पूर्वाग्रह से ग्रस्त ट्विटर ने उन्हें ब्लू टिक नहीं दिया था। उन्होंने दावा किया दक्षिणपंथी समर्थकों के साथ ट्विटर पक्षपात करता है और उन्हें ब्लू टिक नहीं देता है।हालांकि रंगनाथन के दावों की उस समय हवा निकल गई जब हमने देखा कि इसके उलट चित्रा सुब्रमण्यम और सुचेता दलाल का ट्विटर अकाउंट वेरीफाई है। इतना ही नहीं खुद आनंद रंगनाथन के भी अकाउंट पर ब्लू टिक लगा हुआ है। जिसे खुद एक दक्षिणपंथी समर्थक के रूप में जाना जाता है। इसके बाद लोगों ने इन लोगों की जमकर क्लास लगाई।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल पिछले हफ्ते डोरसे भारत दौरे पर आए थे। जहां उन्होंने महिला पत्रकारों के साथ एक गोलमेज बैठक के बाद एक फोटो हाथ में लेकर तस्वीर खिंचवाई थी, जिस पर Smash Brahmanical Patriarchy यानी ‘ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को खत्म करो’ नारा लिखा था। ट्विटर पर इस तस्वीर के सामने आते ही डोरसे को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा। आलोचना खासकर दक्षिणपंथी विचारधारा की तरफ झुकाव रखने वाले यूजर्स द्वारा की गई। जैक पर एक जातीय समूह पर हमलावर होने का आरोप लगाया गया।

इस पोस्टर पर विवाद के बाद अब ट्विटर इंडिया ने माफी मांगी है। ट्विटर की कानूनी, नीति, भरोसा और सुरक्षा प्रमुख विजया गड्डे ने सोमवार देर रात ट्वीट किया, “मुझे इसके लिए खेद है। यह हमारे विचारों का प्रतिबिंब नहीं है। हमे एक निजी फोटो उपहार के रूप में प्राप्त हुआ था। हमें और अधिक विचारशील होना चाहिए था।” उन्होंने आगे कहा, “ट्विटर सभी के लिए निष्पक्ष मंच होने का प्रयास करता है। हम यहां ऐसा करने में नाकाम रहे हैं और हमें भारत में अपने ग्राहकों की सेवा करने के लिए बेहतर करना होगा।”

इसके अलावा ट्विटर इंडिया ने भी आनन-फानन में एक अनौपचारिक बयान जारी कर कहा कि पोस्टर जैक के दोस्तों ने उन्हें दिए थे…ट्विटर सभी की भावनाओं का सम्मान करने में यकीन रखता है। सोशल नेटवर्क के मुताबिक, महिला पत्रकारों के साथ बंद कमरे में चर्चा हुई थी। वे भारत में बदलाव की वाहक हैं और यह चर्चा उनके ट्विटर अनुभव को लेकर थी।

माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफार्म ने कहा, “इस चर्चा में एक दलित कार्यकर्ता भी सहभागी थी और उन्होंने अपने निजी अनुभवों को साझा किया और जैक को एक पोस्टर भेंट किया।” ट्विटर ने कहा, “यह ट्विटर या हमारे सीईओ का बयान नहीं है।” इस पोस्टर के वायरल होने के बाद कुछ यूजर्स ने डोरसे पर ‘कट्टरता’ और ‘नस्लवादी’ के आरोप लगाए थे।

 

 

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