बिहार के भागलपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा मामले में मुख्य आरोपी और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को शनिवार (31 मार्च) देर रात पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हालांकि अर्जित का दावा है कि उन्होंने खुद सरेंडर किया है। इससे पहले शनिवार (31 मार्च) को भागलपुर की एक अदालत ने शाश्वत की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक अर्जित शनिवार देर रात करीब 12 बजे अपने समर्थकों के साथ पटना के शास्त्री नगर स्थित हनुमान मंदिर के पास पहुंचे थे। जहां एडिशनल एसपी राकेश दुबे के नेतृत्व में पहुंची स्पेशल ब्रांच की टीम ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके बाद काफी गहमागहमी के बीच पुलिस उन्हें गांधी मैदान थाने ले गई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब खबर है कि अर्जित शाश्वत को भागलपुर ले जाया गया है, जहां रविवार को उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री के बेटे शाश्वत पर जिला प्रशासन की अनुमति के बिना जुलूस निकालने का आरोप है, जिसके कारण दो समुदाय के बीच सांप्रदायिक हिंसा हुई।
सरेंडर करने से पहले 38 वर्षीय अर्जित शाश्वत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, ‘मैं सरेंडर करने जा रहा हूं। हम उच्च अदालत में भी जाएंगे। मेरे खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर फर्जी है।’ बता दें कि अर्जित ने इससे पहले सरेंडर करने से इनकार करते हुए कहा था कि वह भगोड़े नहीं हैं। हालांकि शनिवार को पटना के शास्त्री नगर स्थित हनुमान मंदिर इलाके में एक पुलिस स्टेशन के बाहर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।
अर्जित की गिरफ्तारी के दौरान जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान अर्जित के समर्थकों ने जय श्री राम और वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे। भागलपुर हिंसा मामले में पिछले हफ्ते ही भागलपुर सांसद अश्विनी चौबे के पुत्र अरिजित और आठ अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट जारी हुआ था। बता दें कि अरिजित के पिता अश्विनी कुमार चौबे बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री हैं।
अरिजीत के खिलाफ जिस मामले में गिरफ्तार वॉरंट जारी हुआ है, वह भागलपुर के नाथनगर इलाके का है। नाथनगर में 17 मार्च को एक जुलूस के दौरान हिंसक झड़प हुई थी जिसके बाद अरिजीत को आरोपी बनाते हुए उन पर एफआईआर दर्ज की गई थी। हिंसा मामले में दर्ज एफआईआर में कहा गया था कि अरिजीत के नेतृत्व में भारतीय नववर्ष जागरण समिति की ओर से विक्रम संवत के पहले दिन नववर्ष को मनाने के लिए जुलूस निकाला गया था।
दोनों समुदायों में संघर्ष उस समय शुरू हुआ जब मेदिनीनगर के स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। इस घटना में दो पुलिसकर्मी सहित कुछ अन्य लोग जख्मी हुए थे। गिरफ्तारी देने के बाद अरिजित ने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों ने जो गड़बड़ी की है, उसका वह विरोध कर रहे हैं।