किसानों की अलग-अलग समस्याओं का निवारण, लोकपाल-लोकायुक्त कानून सहित चुनाव सुधारों की मांग को लेकर मशहूर समाजसेवी अन्ना हजारे शुक्रवार (23 मार्च) से छह साल बाद एक बार फिर अनशन शुरू कर दिए हैं। अपनी तमाम मांगों को लेकर उन्होंने मोदी को चेतावनी दी है। अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करने से पहले अन्ना राजघाट गए और महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर बापू को नमन किया। इसके बाद अन्ना सीधे रामलीला मैदान पहुंचे और अपने हजारों समर्थकों की मौजदूगी में मंच पर सबसे पहले तिरंगा लहराया और अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। अनशन पर बैठने से पहले अन्ना ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा कि उनके समर्थक दिल्ली कूच ना कर सके इसलिए प्रशासन ने ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है।
बता दें कि इससे पहले वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकपाल के गठन की मांग को लेकर वह इसी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे थे। इस बार संभावित तौर पर वह नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार पर निशाना साधेंगे।हालांकि पिछली बार जिस लोकपाल कानून की मांग उन्होंने की थी वो इस आंदोलन का हिस्सा भी है। अन्ना ने भूख हड़ताल शुरू करने से पहले कहा कि, ‘मैंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा, मगर सरकार ने नहीं सुनी। अंत में मुझे अनशन पर बैठना पड़ा।’
इसके साथ ही अन्ना ये भी कहा कि चाहे इस बार भीड़ आए ना आए वह अकेले ही रामलीला मैदान में बैठे रहेंगे और जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती वह यहां से नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया। साथ ही कहा कि सिर्फ गोरे गए और काले आ गए। अपनी मांगों के संदर्भ में अन्ना ने कहा कि सिर्फ जुबानी आश्वासन पर अनशन नहीं रुकेगा, बल्कि पुख्ता निर्णय लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चर्चा करने के लिए अनुमति देंगे। केंद्र को घेरते हुए कहा कि आंदोलनकारियों को यहां आने से सरकार रोक रही है। क्या यही लोकतंत्र है।
उधर, रामलीला मैदान में बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। रामलीला मैदान के चारों तरफ व अंदर भी चप्पे-चप्पे पर पैरा मिलिट्री व दिल्ली पुलिस तैनात है। हर तरह की संभावनाओं से निबटने के लिए दिल्ली पुलिस ने पूरी तैयारी की है। पुलिस का कहना है कि मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद और मैन्युअल जांच-पड़ताल करने के बाद ही किसी को अंदर जाने दिया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले अन्ना हजारे ने 16 अगस्त 2011 को भ्रष्टाचार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की थी। सुबह ही उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अन्ना ने जेल में ही अनशन शुरू कर दिया। 19 अगस्त को उन्हें छोड़ा गया तो अन्ना ने रामलीला मैदान में डेरा जमा लिया। तब 12 दिन तक भूख हड़ताल चली थी। 288 घंटे बाद अन्ना ने 28 अगस्त को अपना अनशन तोड़ा था।
अन्ना ने मोदी सरकार पर लगाया ट्रेनें रद्द कराने का आरोप
इससे पहले अन्ना हजारे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए गंभीर आरोप गया है। उन्होंने कहा कि, प्रदर्शन के लिए दिल्ली आ रहे किसानों की ट्रेनें रद्द की जा रही है। अन्ना ने अपने अनशन में पहुंचने वाले किसानों को लेकर दिल्ली पहुंचने वाली ट्रेनों को रद्द किए जाने से नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सरकार किसानों को हिंसा की ओर ले जाना चाह रही है? उन्होंने कहा कि मेरे लिए पुलिस बल तैनात किया गया है, जबकि मैंने कई बार पत्र लिख कर कहा था कि मुझे पुलिस सुरक्षा की जरूरत नहीं हैं, आपकी पुलिस हमें नहीं बचा सकती है। सरकार को ऐसा धूर्त रवैया नहीं अपनाना चाहिए।
केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए अन्ना ने कहा कि जो ट्रेनें प्रदर्शनकारियों को लेकर दिल्ली आ रही थीं उन्हें रद्द कर दिया गया, क्या आप उन्हें हिंसा की ओर ले जाना चाहते हैं। मेरे लिए पुलिस फोर्स भी तैनात कर दी गई। मैंने कई पत्र लिखे कि मुझे पुलिस सुरक्षा नहीं चाहिए। आपकी सुरक्षा मुझे नहीं बचाएगी। सरकार का यह रवैया ठीक नहीं है।अन्ना ने कहा कि जब लोगों को न्याय नहीं मिलता तब उनके पास आंदोलन करने का अधिकार है, अंग्रेज चले गए लेकिन इस देश में लोकतंत्र कहां है।
लोकपाल के लिए अपना विरोध शुरू करने के साथ ही अन्ना ने कहा कि, ‘मैंने कई बार अनशन किए, कभी भी किसी तरह की हिंसा नहीं की। इस बार सरकार ने पता नहीं क्यों यहां आनेवाले लोगों को रोकने के लिए ट्रेनें और बसें रोक दीं, यह लोकतंत्र का गला घोंटने वाली बात है। सरकार किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है।’ राजनेताओं के प्रति नाराजगी जताते हुए अन्ना ने कहा कि नेता जनता का दुख नहीं समझते बल्कि सिर्फ खुद के बारे में सोचते हैं। बता दें कि अन्ना के साथ जुड़े लोगों का कहना है कि हजारों की संख्या में देशभर के अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।