बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार (18 जून) को मुजफ्फरपुर का दौरा किया, जहां एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार से अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है। 108 बच्चों की मौत के बाद नीतीश कुमार मंगलवार को जब अस्पताल पहुंचे तो इस दौरान वहां स्थानीय लोगों द्वारा उनका जमकर विरोध किया गया। अस्पताल के बाहर खड़े लोगों ने ‘नीतीश वापस जाओ’ के नारे भी लगाए। मासूमों की मौत से नाराज परिजन नीतीश मुर्दाबाद और हाय-हाय के नारे लगाए।
अस्पताल में मौत का सिलसिला 17 दिन पहले शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है। चमकी बुखार से मौत के बढ़ते आंकड़े और स्थिति के बद से बदतर होने के बावजूद सीएम नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर न आने पर लगातार सवाल उठ रहे थे। मुख्यमंत्री के इस रवैये से लोगों में काफी नाराजगी है। नीतीश कुमार से पहले स्थिति का जायजा लेने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को एसकेएमसीएच का दौरा किया था।
#WATCH Locals hold protest outside Sri Krishna Medical College and Hospital in Muzaffarpur as Bihar CM Nitish Kumar is present at the hospital; Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) is 108. pic.twitter.com/N1Bpn5liVr
— ANI (@ANI) June 18, 2019
जिला के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा कि उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ नीतीश कुमार ने सरकारी श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) का दौरा किया, जहां उन्होंने अपना इलाज करा रहे बच्चों और उनके परिजनों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री स्थिति का जायजा लेने के लिए सोमवार को ही डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे।
बता दें कि मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। लोगों के नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रविवार को सरकारी एसकेएमसीएच अस्पताल आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को काले झंडे दिखाये गये। लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पुलिस भी सतर्क है और अस्पताल के आस-पास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
हर साल होती हैं मौतें
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में इस बीमारी के कारण 86 बच्चों की मौत हुई थी जबकि 2015 में 11, साल 2016 में 4, साल 2017 में 4 और साल 2018 में 11 बच्चों की मौत हुई थी। एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में एईएस पीड़ित कई बच्चे हैं। हर साल मई-जून में कहर बरपाने वाली इस बीमारी ने पिछले करीब 25 बरस से मुजफ्फरपुर एवं आसपास के क्षेत्र को अपनी चपेट में लिया है। इसका कोई स्थाई निदान नहीं निकाला जा सका है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से जर्जर है, गांव में स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव है और जहां केंद्र है, वहां डॉक्टर नहीं है। बुखार के बारे में जांच, पहचान एवं स्थायी उपचार के लिए स्थानीय स्तर पर एक प्रयोगशाला स्थापित करने की मांग लंबे समय से मांग ही बनी हुई है। मुजफ्फरपुर में अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि एक बेड पर तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में ही बच्चे की मौत
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन के साथ रविवार को जब स्वास्थ्य कर्मियों का दल मेडिकल कालेज अस्पताल में निरीक्षण कर रहा था, उस समय भी दो बच्चों की मौत हुई। डॉ हर्षवर्धन ने कहा था कि सौ बच्चों की मौत बेहद चिंताजनक है और सरकार इस बारे में गंभीरता से काम कर रही है। केंद्र सरकार ने राज्य में संसाधनों को बेहतर बनाने के लिए मदद का आश्वासन दिया और प्रदेश सरकार से प्रस्ताव भेजने को कहा है। मुजफ्फरपुर एवं आसपास के क्षेत्रों से मच्छर एवं मक्खी के नमूने लेने को भी कहा गया है जिसका अध्ययन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद में होगा। बच्चों की मौत के बढ़ते आंकड़ों ने अब नीतीश सरकार के माथे पर शिकन ला दी है।