राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(NGT) ने आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के उस बयान को ‘स्तब्ध करने वाला’ बताकर एनजीओ को आज(20 अप्रैल) जमकर लताड़ लगाई, जिसमें उन्होंने यमुना के डूबक्षेत्रों को हुए नुकसान के लिए केंद्र एवं हरित पैनल को दोषी बताया है।एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘आपको जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है। आपको बोलने की आजादी है तो क्या आप कुछ भी बोल देंगे। यह स्तब्ध करने वाला है।’
याचिकाकर्ता मनोज मिश्रा की ओर से पेश हुए वकील संजय पारिख ने पीठ को सूचित किया था कि रवि शंकर ने हाल में एक बयान देकर यमुना नदी के डूबक्षेत्रों में विश्व संस्कृति उत्सव आयोजित करने की अनुमति उनके एनजीओ को देने के लिए सरकार और एनजीटी को जिम्मेदार ठहराया है जिसके बाद पीठ ने यह बात कही।
पारिख ने हरित पीठ को बताया कि आध्यात्मिक गुरू ने एनजीटी के खिलाफ आरोप लगाए हैं। वकील ने कहा कि श्री श्री ने आर्ट ऑफ लिविंग की वेबसाइट, अपने फेसबुक पेज पर यह बयान पोस्ट किया है और उन्होंने इस बात पर लिखित बयान देकर मीडिया को संबोधित किया। हालांकि, एओएल फाउंडेशन के लिए पेश हुए वकील ने विशेषज्ञ पैनल के निष्कर्ष का विरोध किया और कहा कि उन्हें समिति के निष्कर्ष को लेकर कुछ आपत्तियां हैं और उन्होंने रिपोर्ट को दरकिनार किए जाने की अपील की।
इस पर रवि शंकर ने पलटवार करते हुए ट्वीट कर कहा कि ‘जो लोग कहते हैं कि आर्ट ऑफ लिविंग गैरजिम्मेदार हैं, वे हमें नहीं जानते या फिर उनका सेंस ऑफ ह्यूमर सुधर गया है। सच ये है कि हमने यमुना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। जब झूठ सामने आए तो सब चौंक जाएंगे।’
बता दें कि बुधवार को श्री श्री ने पिछले साल यमुना नदी के किनारे हुए तीन दिन के सम्मेलन के आयोजन के लिए सरकार और अदालत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि यह तो सरकार और अदालत की गलती है कि उन्होंने इस कार्यक्रम की अनुमति दी।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, विशेषज्ञों की टीम ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के सामने इस बात की गवाही दी है कि कई सौ एकड़ में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम की वजह से नदी का ताल पूरी तरह बर्बाद हो गया है। साक्ष्य में कहा गया कि इस नुकसान की भरपाई कम से कम 10 साल में हो पाएगी और इसमें करीब 42 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल मार्च में श्रीश्री रविशंकर द्वारा कराए गए इस महोत्सव की वजह से यमुना के डूबक्षेत्र में पनपने वाली जैव विविधता हमेशा के लिए बर्बाद हो गई है। इसमें सबसे अधिक नुकसान उस जगह को पहुंचा है, जहां पर रविशंकर ने अपना विशालकाय स्टेज लगवाया था।
तीन दिन तक चले इस कार्यक्रम के समाप्ति के बाद यमुना किनारे दूर-दूर तक सिर्फ गंदगी और कूड़े के ढेर दिखाई दिए थे। इस विशाल महोत्सव से पहुंचे पर्यावरण को नुकसान के मद्देनजर एनजीटी ने श्रीश्री रविशंकर की आर्ट ऑफ लिविंग पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया था। जिसके बाद आर्ट ऑफ लिविंग को इस जुर्माने का भुगतान करना पड़ा था।