मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान कहा कि सार्वजनिक जीवन में तर्क वितर्क का वैचारिक आदान-प्रदान लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
NDTV को दिए गए साक्षात्कार में अपनी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज के परिसर में हुई हिंसा की निंदनीय है और ये पूरी तरह से लोकतंत्र विरोधी है। किसी भी संवाद के शुरू होने से पहले ही एक खतरनाक निर्णायक स्थिति पर पहुंचकर उसे खत्म कर देने की पहल लोकतंत्र के खिलाफ है।
बुधवार को छात्रों से हुई झड़क और विवाद सर्वाधिक सुर्खियों में रहा। बताया गया कि कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र उमर खालिद को भी आमंतत्रित किया था।
पूर्व में उमर खालिद और अनिर्बान को देशद्रोह के आरोप में में हिरासत में लिया गया था। जिन पर पूर्व में भारत विरोधी नारे लगाने के कारण राजद्रोह का आरोप लगया गया था। इस पर कनिष्ठ गृह मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कालेज परिसरों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का हिस्सा नहीं बनमे दिया जाएग।
इस बारे में बोलते हुए डाॅ सेन ने कहा कि राष्ट विरोधी जैसा शब्द एक अल्पमत वाली सरकार की और से आया है। डाॅ. सेन ने 2014 के आम चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत का जिक्र करते हुए कहा कि 31 फीसदी वोट का हिस्सा रखने वाली सरकार 69 प्रतिशत के लिए ऐेसा नहीं कर सकते। इससे वहां पनपे अहंकार का पता चलता है।