संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुई हिंसक घटनाओं में सार्वजनिक सम्पत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन की तरफ से आरोपियों के नाम, पते और फोटो की होर्डिंग लगाए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट रविवार (8 मार्च) को सुनवाई करेगा।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, यह सुनवाई 8 मार्च को दोपहर 3 बजे होगी। बता दें कि, पहले यह सुनवाई सुबह 10 बजे होने वाली थी। कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट रविवार को अवकाश के बावजूद इस मामले पर सुनवाई कर रहा है।
Update: Allahabad HC will hear at 3pm today, the case related to hoardings put up by Uttar Pradesh government, with names, addresses and photos of those who were accused of violence during protests against #CitizenshipAmendmentAct . The court has taken up the case on suo moto. https://t.co/SBOfP22n3O
— ANI UP (@ANINewsUP) March 8, 2020
चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर लखनऊ के डीएम और डिविजनल पुलिस कमिश्नर से पूछा है कि वह हाई कोर्ट को बताएं कि कानून के किस प्रावधान के तहत लखनऊ में इस प्रकार का सड़क पर पोस्टर लगाया जा रहा है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत पोस्टर्स लगाए गए हैं। हाई कोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
इस पोस्टर को लेकर प्रियंका गांधी ने भी योगी सरकार पर तीखा निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर पूछा, ‘यूपी की बीजेपी सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबासाहेब आंबेडकर के बनाए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो। आपकी जवाबदेही तय होगी।’
बता दें कि, नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा के आरोपियों की फोटो वाली होर्डिंग लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर लगाई गई है। इनमे सार्वजनिक और निजी सम्पत्तियों को हुए नुकसान का विवरण है। साथ ही लिखा है कि सभी से नुकसान की भरपाई की जाएगी। आरोपियों से वसूली के लिए शहरभर में लगाए गए पोस्टर और होर्डिंग्स को लेकर सोशल मीडिया और जमीन पर विरोध शुरू हो गया है। राजनीतिक दल, समाजसेवी संस्थाओं के लोग इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं।