गंगा सफाई पर रामदेव के बयान से ‘आहत’ उमा भारती ने पत्र लिखकर निकाला गुस्सा, कहा- ‘आपके मुंह से निकला कोई भी जुमला मुझे हानि पहुंचा सकता है’

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केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती और योग गुरु बाबा रामदेव के बीच इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जी हां, केंद्रीय मंत्री रामदेव के एक बयान से बेहद आहत हैं। दरअसल उमा भारती रामदेव के उस बयान से आहत हैं जिसमें गंगा सफाई कार्यक्रम को लेकर उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उमा भारती की फाइल ऑफिस में अटक जाती है, जबकि नितिन गडकरी की फाइल नहीं अटकती है। उन्होंने कहा था कि देश में सबसे ज्यादा किसी मंत्री का काम दिखता है तो वह नितिन गडकरी का काम दिखता है।

Photo: @yogrishiramdev

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक रामदेव द्वारा नितिन गडकरी से तुलना किए जाने की खबर से आहत उमा भारती ने योग गुरू को पत्र लिखकर कहा है कि उनके मुंह से निकला ऐसा कोई भी जुमला उन्हें (उमा भारती) हानि पहुंचा सकता है। बाबा रामदेव को लिखे पत्र में उमा भारती ने कहा, “मुझे आपके द्वारा गंगा की विवेचना करते समय दो मंत्रियों की तुलना करना अजीब लगा। मैं स्वयं भी नितिन गडकरी जी की प्रशंसक हूं।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया के सामने लंदन से किसी टीवी चैनल पर मेरे बारे में चर्चा करते समय शायद यह आपको (रामदेव) ध्यान नहीं रहा कि आप मुझे निजी तौर पर आहत और मेरे आत्मसम्मान पर आघात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “आठ साल की उम्र से अभी तक इन 50 सालों में घोर परिश्रम, विचारनिष्ठा और राष्ट्रवाद मेरी शक्ति हैं और इसी विश्ववसनीयता ने राजनीति में मुझे सही जगह दिलाया है।”

उन्होंने कहा कि आप (रामदेव) मेरे मार्गदर्शक रहे हैं। अक्टूबर महीने में गंगोत्री से गंगासागर तक लाखों लोग गंगा के किनारे स्वच्छता और वृक्षारोपण कार्यक्रम में भागीदारी करेंगे। मैं आपसे और सभी संतों से इसके लिए निवेदन करती हूं।बता दें कि लंदन में एक टीवी चैनल से बातचीत में रामदेव ने गंगा स्वच्छता कार्यक्रम के संदर्भ में एक सवाल के जवाब में कहा था कि उमा जी की फाइल ऑफिस में अटक जाती है, जबकि गडकरी जी की फाइल नहीं अटकती। उन्होंने कहा था कि देश में सबसे ज्यादा किसी मंत्री का काम दिखता है तो वो नितिन गडकरी का है।

उमा भारती के पत्र पर रामदेव ने दिया जबाव

वहीं. उमा भारती के पत्र पर रामदेव का जवाब भी आया है। रामदेव ने ट्वीट कर कहा है कि उमा भारती और उनका रिश्ता आध्यात्मिक भाई-बहन का रिश्ता है। उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनकी मंशा उमा भारती को आहत करने की नहीं थी। उनका मकसद गंगा सफाई अभियान में आ रही परेशानियों की तरफ इशारा करने का था। उनकी धर्म-निष्ठा और राष्ट्र निष्ठा प्रशंसनीय है।

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