तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भवानीपुर से प्रचंड जीत के बाद, भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई को अब भय सताने लगा है कि राज्य में उसके कई और विधायक और नेता सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। बता दें कि, 2 मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद, तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय सहित भगवा पार्टी के कई विधायक तृणमूल में शामिल हो गए हैं। पिछले महीने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो भी तृणमूल में शामिल हुए थे।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले पांच महीनों में, भाजपा के पांच विधायक तृणमूल में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ चुके हैं और रविवार के परिणामों के बाद – जहां बनर्जी ने अपनी भाजपा प्रतिद्वंद्वी प्रियंका टिबरेवाल को 58,832 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया, वे कुछ और मौजूदा विधायकों और नेताओं के सत्तारूढ़ दल में शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं। ममता ने 2011 में 54,213 मतों से जीत के अंतर से और आगे बढ़ते हुए भवानीपुर से 58 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी नेता ने कहा- मुकुल रॉय के हमें छोड़ने के बाद, हमने महसूस किया है कि कुछ और नेता भी हमें छोड़ देंगे। ममता की जीत के बाद हम और अधिक उम्मीद कर रहे हैं, खासकर जो विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे, वे आने वाले दिनों में तृणमूल में शामिल होंगे। ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा के कई विधायक तृणमूल नेतृत्व के संपर्क में हैं और पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा राज्य नेतृत्व इन नेताओं को जाने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है।
नेता ने कहा, लेकिन जिस तरह से हमारे विधायक तृणमूल में शामिल हुए, ऐसा लगता है कि राज्य नेतृत्व हमें छोड़ने के अपने फैसले को बदलने में सक्षम नहीं है। लेकिन हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को तृणमूल में शामिल होने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
जून में कृष्णानगर उत्तर विधानसभा सीट से जीतने वाले मुकुल रॉय भाजपा छोड़कर तृणमूल में फिर से शामिल हो गए। सितंबर में, तीन भाजपा विधायकों – बिष्णुपुर से तन्मय घोष, बगदा से बिस्वजीत दास और कालियागंज से सौमेन रॉय ने भी भाजपा छोड़कर तृणमूल का दामन थाम लिया था। रायगंज से भाजपा विधायक कृष्ण कल्याणी ने हाल ही में घोषणा की है कि उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।