अपने बयानों को लेकर विवादों में रहे पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह एक और बयान को लेकर चर्चाओं में हैं। बीबीसी हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कथित तौर पर कहा कि अगर कोई भारत की सेना को मोदी जी की सेना कहता है तो यह गलत ही नहीं, बल्कि ‘देशद्रोह’ भी है। सिंह ने हालांकि बाद में टिप्पणी करने की बात को पुरजोर तरीके से खारिज करते हुए कहा कि संबंधित रिपोर्टर ने कट-पेस्ट करने का काम किया है। उन्होंने ट्विटर पर सवाल खड़ा किया कि ऐसा करने के लिए मीडिया हाउस को कितना पैसा मिला। साथ ही उन्होंने बीबीसी हिंदी को ‘प्रेस्टीट्यूट’ कहकर संबोधित किया है।
file photoबीबीसी हिंदी के मुताबिक सिंह ने इंटरव्यू में कहा, ”बीजेपी के प्रचार में सब लोग अपने आप को सेना भी बोलते हैं। लेकिन हम किस सेना की बात कर रहे हैं? क्या हम भारत की सेना की बात कर रहे हैं या पॉलिटकल वर्कर्स की बात कर रहे हैं? मुझे नहीं पता कि क्या संदर्भ है। अगर कोई कहता है कि भारत की सेना मोदी जी की सेना है तो वो गलत ही नहीं, वो देशद्रोही भी है। भारत की सेनाएं भारत की हैं, ये पॉलिटिकल पार्टी की नहीं हैं।”
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अप्रैल को गाजियाबाद में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के चुनाव प्रचार में भारतीय सेना को ‘मोदी जी की सेना’ कहा था। इसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने तो आपत्ति जताई साथ ही कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि सेना देश की होती है, किसी नेता की नहीं होती है। योगी ने कहा था, ”कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते हैं और मोदी जी की सेना आतंकवादियों को गोली और गोला देती है।”
इस बयान पर विवाद होने के बाद केंद्रीय मंत्री ने ऐसी किसी भी टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि इंटरव्यू लेने वाले रिपोर्टर ने ‘कट-पेस्ट’ करने का काम किया है। पूर्व सेनाध्यक्ष ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए ट्विटर पर लिखा, “बीबीसी हिंदी ने वही किया जिसके लिए मैंने प्रेस्टीट्यूट (presstitute) शब्द दिया था। लगता है रिपोर्टर सो रहा था या उसने जान बूझकर कट पेस्ट कर ग़लत बयान बनाया। वाल डन जुगल- कितना पैसा मिला??”
@BBCHindi ने वही किया जिसके लिये मैंने presstitute शब्द दिया था । मैंने जो कहा वह मेरे पास रिकार्ड है । लगता है रिपोर्टर सो रहा था या उसने जान बूझ कर कट पेस्ट कर ग़लत बयान बनाया । वाल डन जुगल – कितना पैसा मिला ??
— Chowkidar Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) April 4, 2019
बीबीसी हिंदी ने भी वीके सिंह के हमले का तुरंत जवाब दिया। केंद्रीय मंत्री के इनकार के बाद बीबीसी इंडिया ने सिंह के साथ अपनी बातचीत का एक पूरा वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर जारी किया है ताकि उसके दावे की पुष्टि की जा सके और कहा कि विदेश राज्य मंत्री ने इसके लिए “प्रेस्टीट्यूट” शब्द का भी इस्तेमाल किया था।
बीबीसी हिंदी ने ट्विटर पर लिखा, “बीबीसी हिंदी को इंटरव्यू देने के बाद जनरल वीके सिंह ने उस इंटरव्यू की रिपोर्टिंग पर एक ट्वीट करके बीबीसी हिंदी को ‘प्रेस्टीट्यूट’ कहने के साथ ही बयान तोड़-मरोड़कर पेश करने और पत्रकार पर ‘पैसे लेने का आरोप लगाया’। यहां आप इस अनकट वीडियो में ख़ुद देखिए कि जनरल वीके सिंह ने क्या कहा था।”
बीबीसी हिंदी को इंटरव्यू देने के बाद @Gen_VKSingh ने उस इंटरव्यू की रिपोर्टिंग पर एक ट्वीट करके @BBCHindi को ‘प्रेस्टीट्यूट’ कहने के साथ ही बयान तोड़-मरोड़कर पेश करने और पत्रकार पर ‘पैसे लेने का आरोप लगाया’. यहाँ आप इस अनकट वीडियो में ख़ुद देखिए कि जनरल वीके सिंह ने क्या कहा था pic.twitter.com/PGOWCyn7dW
— BBC News Hindi (@BBCHindi) April 4, 2019
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब वीके सिंह ने किसी मीडिया संस्थान के लिए ‘प्रेस्टीट्यूट’ शब्द का इस्लेमाल किया हो। इससे पहले 2015 में भी उस समय टाइम्स नाउ के एडिटर इन चीफ रहे अर्नब गोस्वामी और उनके चैनल को उन्होंने ‘प्रेस्टीट्यूट’ कहकर संबोधित किया था। भारत के विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने टाइम्स नाउ द्वारा चलाए गए एक रिपोर्ट के विरोध में अपने एक ट्वीट में इस शब्द का इस्तेमाल किया था।
वीके सिंह ने ट्वीट किया था, “दोस्तों आप प्रेस्टीट्यूट से और उम्मीद भी क्या कर सकते हैं।” अपने इस ट्वीट में उन्होंने अर्नब गोस्वामी और टाइम्स नाउ का जिक्र किया था। बीबीसी हिंदी के मुताबिक प्रेस्टीट्यूट शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों प्रेस और प्रॉस्टीट्यूट (वेश्या) को मिलाकर बना है और इस शब्द के जरिए वीके सिंह भारतीय मीडिया को बिकाऊ बताने की कोशिश कर रहे थे।
Friends what do you you expect from presstitutes. Last time Arnab thought there was 'O' in place of 'E' #TimesNowDisaster
— Chowkidar Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) April 7, 2015
बता दें कि अर्नब गोस्वामी टाइम्स नाउ से इस्तीफा दे चुके हैं। टाइम्स नाउ से इस्तीफा देने के बाद गोस्वामी ने एनडीए के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर और बीजेपी समर्थक मोहनदास की मदद से मई 2017 में अपने नए इंग्लिश चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ को लॉन्च किया था, जिसके बाद वह लगातार विवादों में हैं। इसके अलावा उन्होंने हाल ही में ‘रिपब्लिक भारत’ के नाम से एक और हिंदी चैनल की शुरूआत की है।
वीके सिंह के इस बयान पर देखिए लोगों की प्रतिक्रियाएं:
बीजेपी में सब पलटीमार ही हैं क्या? https://t.co/4IXO3ZFMFN
— Avinash Das (@avinashonly) April 4, 2019
Former Chief of Army, BJP MP and now Minister, VK Singh of “presstitute” fame, clearly caught lying here. @BBCHindi has put out the video. https://t.co/eqvuO0zr6W
— Seema Chishti (@seemay) April 5, 2019
यही होता है जब एक फ़ौजी रिटायर होने के बाद ‘चौकीदार’ बनता है। वह कॉलोनी में मुस्तैद तो रहता है पर गली के गुंडों के भी दबाव में आ जाता है।
चौकीदार @Gen_VKSingh जी, आप बेशक पत्रकारों को #Presstitute कहो, हम आपको हमारे देश के सेना प्रमुख के तौर पर सैल्यूट करते रहेंगे। सैल्यूट सर! https://t.co/cshAFbYy5k
— व्यंग्यकार Umashankar Singh ? (@umashankarsingh) April 4, 2019
जनरल वीके सिंह,आदमी को सहीबात से पलटना नहीं चाहिए,इसे थूककर चाटने के अपमानित मुहावरेसे समाजमें धिक्कारा जाताहै।बीबीसी वीडियोसे बीबीसी की बात प्रामाणिकहै,आपनहीं।आप झूठबोल रहेहैं,निष्पक्षपत्रकार की मानहानि का अपराध कर चुकेहैं।दूसरे मीडिया बिकाऊहैं,बीबीसी नहीं @BJP4India @INCIndia
— ??जयदेव अवाना? (@AdvocateJaidev) April 4, 2019
Waah Singh sahab…khoob naam roshan kiya aapne…
— SalimRizvi (@RizviSalim) April 4, 2019
"मोदी गैंग" की यही असलियत है,
सही को गलत और गलत को सही में बदलकर भोले-भाले लोगों को गुमराह करना इनका फितरत है— Kaushal Singh (@kksinghm) April 4, 2019
BJPites have a cabinet with 2 minsters having 2 date of births, one below general and second BJP's God. This general claimed later that media was #Presstitute and misquoted him, so BBC put up the uncut interview and it is below. Now who it… https://t.co/nfxUQOa7Mq
— चौकीदार नहीं मालिक हूँ / Sanjay Pandey (@rudeindian) April 5, 2019