जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा अन्य के खिलाफ देशद्रोह के मामले में सोमवार को आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद कुमार सहित विभिन्न लोगों ने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया है। उन लोगों ने लोकसभा चुनाव से पहले इसे दाखिल किए जाने को लेकर भी सवाल उठाया। इस बीच केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के दो पदाधिकारियों ने जेएनयू राजद्रोह मामले में चौंकाने वाला खुलासे किए हैं।
बुधवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फेंस के दौरान एबीवीपी की जेएनयू इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष जतिन गोराया और पूर्व संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल ने कहा कि एक समाचार चैनल द्वारा दिखाए गए वीडियो में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगा रहे मौजूद छात्र कथित तौर पर एबीवीपी के सदस्य थे या उनसे सहानुभूति रखने वाले छात्र थे। जतिन गोराया ने ‘जनता का रिपोर्टर’ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि उन्होंने प्रेस कॉन्फेंस में जो दावा किया है वह उस पर बयान पर अडिग हैं।
एबीवीपी की जेएनयू इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष जतिन गोराया ने ‘जनता का रिपोर्टर’ से कहा, “जी न्यूज के डीएनए प्रोग्राम को देखिए…उसमें चार वीडियो है…आप चौथे वीडियो को देखिए जिसे लैब में जांच के दौरान सहीं पाया गया है…शायद जी न्यूज को नहीं पता कि उस वीडियो में जितने भी लोग खड़े हैं जिसमें ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे हैं वह सभी एबीवीपी से जुड़े हैं।” उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर एबीवीपी के पदाधिकारियों को बहस की चुनौती दे चुके हैं और मैं अभी भी एबीवीपी वालों से इस मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हूं कि जो लोग वहां खड़े हैं वह उनके लोग हैं या नहीं?
वहीं, पूर्व संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल ने जनता का रिपोर्टर से कहा, “दरअसल, जी न्यूज ने वीडियो चलाया जिसमें उसने दावा किया कि इसमें ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाया गया। मैं तो ये मानता हूं कि जी न्यूज जो वीडियो दिखा रहा है वह Doctored है, लेकिन जब जी न्यूज और पुलिस यह दावा कर रहे हैं कि वीडियो Doctored नहीं है तो मेरा सवाल यह है कि जो लोग नारे लगा रहे हैं वह एबीवीपी के लोग थे, तो पुलिस अपने चार्टशीट में उस वीडियो को क्यों शामिल नहीं की? उन लोगों (एबीवीपी) के खिलाफ चार्जशीट क्यों नहीं दायर हुई? वह वीडियो कहां है?”
आरोप पत्र दायर करने के समय पर उठाए सवाल
दिल्ली में प्रेस कॉन्फेंस कर जतिन गोराया और प्रदीप नरवाल ने ने जेएनयू राजद्रोह मामले में आरोप पत्र दायर किए जाने के समय को लेकर सवाल उठाते हुए इसे ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताया। बता दें कि एबीवीपी की जेएनयू इकाई के तत्कालीन संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल और दो अन्य ने 9 फरवरी 2016 की घटना के बाद परिसर में हुई झड़प के उपरांत अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगे थे।
वहीं, एबीवीपी की जेएनयू इकाई के उपाध्यक्ष जतिन गोराया ने अगस्त 2016 में पद से इस्तीफा दे दिया था। नरवाल ने बुधवार को आरोप पत्र को राजनीति से प्रेरित बताया। वहीं, गोराया ने कहा कि कथित राजद्रोह विवाद सुनियोजित था, ताकि दलित छात्र रोहित वेमुला की मौत से शुरू हुए आंदोलन को समाप्त किया जा सके। जबकि, एबीवीपी ने कहा है कि दोनों पूर्व सदस्य कांग्रेस के साथ हैं, जिसने आरोपी छात्रों का समर्थन किया था। उसने इसे ध्यान भटकाने की ‘राजनीतिक चाल’ करार दिया।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित पूर्व छात्रों उमर खालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। वह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू की फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था।