दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक गुरुवार (2 नवंबर) को होने वाली है। लेकिन ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास की बढ़ती दूरियों के बीच पार्टी में थोड़ी असहज स्थिति कायम है। दोनों पक्ष यह कयास लगाने में जुटे हैं कि दूसरा पक्ष बैठक में क्या कदम उठाएगा।
राष्ट्रीय परिषद ‘आप’ में फैसले करने वाली दूसरी सबसे बड़ी इकाई है। वैसे तो इस बैठक में केजरीवाल सरकार के कामकाज, पार्टी के विस्तार, देश के आर्थिक हालात जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन सबकी नजरें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास पर रहेंगी।
साथ ही कुमार विश्वास और विधायक अमानतुल्ला खान के बीच आपसी विवाद के कारण हंगामेदार रहने के पूरे आसार हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास के मुताबिक पार्टी हर बार राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनको मुख्य वक्ता बनाती थी, लेकिन इस बार पार्टी ने कुल 5 वक्ताओं का बोलना तय किया है, जिनमें उनका नाम नहीं है।
इससे पहले साल 2015 में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ही योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकाला गया था। दोनों नेताओं को ‘‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’’ के आरोप में निकाला गया था। उन्होंने केजरीवाल के कामकाज के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे। पार्टी से निकाले गए नेताओं ने उस वक्त आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनसे धक्का-मुक्की और बदसलूकी की गई।
नवंबर 2012 में पार्टी की स्थापना के बाद पहली बार संस्थापक सदस्य विश्वास ने दावा किया कि वक्ताओं की सूची में उनका नाम नहीं है। न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर ‘आप’ के एक विधायक ने कहा कि बैठक में बढ़ती बेरोजगारी, नोटबंदी और कृषि संकट पर चर्चा होगी।
विश्वास के एक सहयोगी ने बताया कि, ‘‘कुमार भाई एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हिस्सा लेंगे।’’ केजरीवाल के समर्थकों ने भी नपी-तुली प्रतिक्रिया जाहिर की और कहा कि बैठक योजना के मुताबिक ही होगी और कोई समस्या होने की आशंका नहीं है।
लेकिन विश्वास एवं केजरीवाल की बढ़ती दूरियों के मद्देनजर बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों ने बैठक में एक-दूसरे से निपटने की रणनीति तैयार कर ली है। सूत्रों के मुताबिक अब तक की बैठकों का संचालन करते रहे विश्वास के बजाय इस बार बैठक का संचालन दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया करेंगे।
AAP ने अमानतुल्ला का निलंबन हटाया
बता दें कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान का निलंबन बहाल कर दिया है। AAP ने अपनी राष्ट्रीय परिषद की वार्षिक बैठक से तीन दिन पहले ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान का निलंबन वापस लेकर अपने कुमार विश्वास से नाराजगी मोल ले ली है। इस कदम से विश्वास के पार्टी में और अलग-थलग पड़ने की संभावना है।
इस साल मई में अमानतुल्ला खान ने विश्वास को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एजेंट बताते हुये उनके खिलाफ जमकर प्रहार किया था। आप की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने विश्वास के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में अमानतुल्ला की पार्टी सदस्यता निलंबित करते हुये आरोपों की जांच के लिये तीन सदस्यीय समिति गठित की थी।
सूत्रों के मुताबिक समिति ने दो दिन पहले मामले की जांच कर अमानतुल्ला का निलंबन रद्द करने की पीएसी को सिफारिश की थी। पार्टी ने खान के मुद्दे को देखने के लिए आशुतोष, आतिशी मार्लेना और पंकज गुप्ता की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। हालांकि इसे विश्वास को शांत करने और पार्टी को आपस में बंटने से रोकने की कोशिश के तौर पर देखा गया था।
कुमार विश्वास ने पार्टी के इन फैसले के बाद बागी तेवरों के संकेत भी दे दिए हैं। विश्वास ने अमानतुल्ला का निलंबन वापस लेने पर इतना ही कहा कि खान सिर्फ एक मामूली मुखौटा हैं। परोक्ष रूप से उन्होंने माना कि यह प्रपंच अगले साल जनवरी में खाली हो रही दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों के लिये रचा गया है।
विश्वास ने कहा कि मैंने मई में भी कहा था और आज भी कह रहा हूं कि लोजपा से आया सांप्रदायिकता के आरोपों में अपराधबद्ध एक विधायक मेरा मुद्दा ही नहीं हैं, वह एक मुखौटा हैं। उन्होंने कहा कि उसके पीछे उन आत्मप्रवंचित लोगों का समूह है जिसे इस तरह की राजनीतिक ‘हत्यायें’ करने की आदत है। चाहे सुभाष वारे हों, मयंक गांधी, धर्मवीर गांधी, प्रशांत भूषण या फिर योगेन्द्र यादव हों।