बिहार के मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के जिलों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या दिमागी बुखार का कहर अभी पूरी तरह थमा भी नहीं है। गया में चमकी बुखार का कहर बच्चों पर टूट पड़ा है। गया में दिमागी बुखार से अब तक छह बच्चों की मौत हो गई है। इस बीच, जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित एक बच्चा सोमवार की रात इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा है। इस बीमारी को बिहार में दिमागी बुखार और चमकी बुखार भी कहा जाता है।
गया के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एएनएमसीएच) में दो जुलाई से अब तक 22 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है, जिनमें से छह बच्चों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि एईएस का मामला हो सकता है लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है और रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। रिपोर्ट आने के बाद इसका पता चलेगा।
Bihar: 22 children admitted, 6 died at Anugrah Narayan Magadh Medical College in Gaya, since 2nd July. Medical Superintendent says, "It is being told that this might be the case of AES but it is yet to be confirmed, reports are awaited; it will be ascertained after that." (08.07) pic.twitter.com/6FVw8EzdFS
— ANI (@ANI) July 9, 2019
एएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. वी.के. प्रसाद ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि सोमवार की रात इलाज के लिए पहुंचे एक पीड़ित बच्चे में जापानी इंसेफेलाइटिस पॉजिटिव पाया गया है। प्रसाद ने कहा कि फिलहाल अस्पताल में एईएस के 14 संदिग्ध पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें चार की हालत गंभीर बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि बिहार के मुजफ्फरपुर तथा इसके आसपास के जिलों में एईएस से अब तक 160 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। केंद्रीय टीम भी यहां पहुंचकर एईएस के कारणों की जांच में जुटी है।
बिहार सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की टीमें बच्चों की मौत के असली कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इसकी असल वजह का अब तक पता नहीं चल पाया है। उल्लेखनीय है कि 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं और मरने वाले बच्चों में से अधिकांश की उम्र सात साल से कम है। बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश के 38 जिलों में से करीब 20 जिलों में इस बार एईएस से 700 से ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए हैं।