370 रुपए चोरी के आरोप में 29 साल चला मुकदमा, 2 आरोपियों को 5 साल की जेल

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मुकदमों के अंबार से हमारा न्यायतंत्र कैसे कराह रहा है उसका एक छोटा सा नमूना उत्तर प्रदेश के बरेली से आया है, जहां 1988 में दो शख्‍सों द्वारा एक ट्रेन से 370 रुपए की चोरी के आरोप में कोर्ट को उन्‍हें सजा सुनाने में 29 साल लग गए। जी हां, बरेली की एक अदालत ने 370 रुपए की चोरी के मामले में 29 साल बाद मंगलवार(18 जुलाई) को फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को पांच साल की सजा सुनाई है।आरोपियों पर आरोप था कि उन्होंने 29 साल पहले एक ट्रेन में एक शख्स को नशीला पदार्थ खिलाकर उससे 370 रुपए चोरी कर लिए थे। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने दोनों आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से एक आरोपी की वर्ष 2004 में मौत हो गई थी।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 21 अक्टूबर, 1988 को ट्रेन से नौकरी के लिए शहाजहानपुर से पंजाब जा रहे वाजिद हुसैन नाम के शख्स को चंद्र पाल, कन्हैया लाल और सर्वेश ने चाय की पेशकश की। तीनों ने चाय में नशीला पदार्थ मिला दिए थे। जिसके बाद हुसैन के बेहोश होते ही तीनों ने उसकी जेब से 370 रुपए लेकर फरार हो गए।

एशिडनल डिस्ट्रिक्ट सरकारी वकील सुरेश बाबू ने कहा कि तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा- 379, 328, और 411 के तहत केस दर्ज किया गया था। 2004 में चंद्रपाल की मौत के बाद केस को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को ट्रांसफर कर दिया गया। पाल 16 साल तक फरार रहा।

आरोपियों ने जताया अफसोस

वहीं, दोनों आरोपियों लाल और सर्वेश को अपनी गलती का अफसोस है। दोनों आरोपी 60 की उम्र पार कर चुके हैं। दोनों उत्तर प्रदेश के हरदोई के रहने वाले हैं और अब उनके बेटे और बेटियां भी बड़े हो चुके हैं। दोनों का कहना है कि उनके लिए असली सजा मुकदमा था यह दो साल की जेल नहीं जो उन्हें मिली है।

वहीं, इस वक्त पीड़ित हुसैन की उम्र अब 59 साल है। इस मामले से यह तो साफ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की तुलना में निचली और जिला अदालतों की हालत ज्यादा खराब है। जबकि मुकदमों की शुरुआत यहीं से होती है।

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