इलाहाबाद हाई कोर्ट गुरुवार(12 अक्टूबर) को राजेश और नुपूर तलवार को उनकी किशोरी बेटी आरुषि और घरेलू सहायक हेमराज के सनसनीखेज हत्या मामले में बरी कर दिया। घटना वर्ष 2008 की है। अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
यह फैसला तलवार दंपति के लिए नौ वर्ष बाद राहत लेकर आया है। सीबीआई की अदालत ने उन्हें 14 वर्षीय आरुषि की हत्या का दोषी ठहराया था। सीबीआई की अदालत ने तलवार दंपति को 26 नवंबर 2013 को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति बी के नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सीबीआई की अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। खचाखच भरे अदालत कक्ष में फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों और हालातों को ध्यान में रखते हुए दंत चिकित्सक दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
नुपूर और राजेश तलवार गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं। मई 2008 में तलवार दंपति के नोएडा स्थित आवास पर उनकी बेटी आरुषि अपने कमरे में मृत मिली थी। उसकी हत्या गला काटकर की गई थी। शुरुआत में शक की सुई 45 वर्षीय हेमराज की ओर घूमी थी क्योंकि घटना के बाद से वह लापता था।
लेकिन दो दिन बाद हेमराज का शव बिल्डिंग की छत से मिला था। इस मामले में लापरवाहीपूर्ण तरीके से जांच करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की कड़ी आलोचना हुई थी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी थी।
जानें- 2008 से अब तक इस मामले में कब क्या-क्या हुआ?
- 16 मई 2008: आरुषि तलवार अपने बेडरूम में मृत पाई गई। हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर गया।
- 17 मई 2008: नौकर हेमराज का शव उस इमारत की छत पर पाया गया, जिसमें तलवार का फ्लैट है।
- 19 मई 2008: तलवार के पूर्व घरेलू सहायक विष्णु शर्मा को संदिग्ध माना गया।
- 23 मई: आरुषि के पिता राजेश तलवार को मुख्य आरोपी बताकर गिरफ्तार किया गया।
- 01 जून: मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ली।
- 13 जून: सीबीआई ने तलवार के घरेलू सहायक कृष्णा को गिरफ्तार किया।
- 26 जून: सीबीआई ने मामले को सुराग विहीन बताया। गाजियाबाद के विशेष मेजिस्ट्रेट ने राजेश तलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया।
- 12 जुलाई: राजेश तलवार को जमानत दी गई।
- 29 दिसंबर: सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट जमा की, जिसमें घरेलू नौकरों को क्लीन चीट दिया गया, लेकिन माता-पिता की तरफ उंगली उठाई।
- 9 फरवरी, 2011: अदालत ने सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह आरुषि के माता-पिता पर लगाए गए हत्या और सबूत मिटाने के अभियोजन के आरोप को लेकर मामला जारी रखें।
- 21 फरवरी: तलवार दंपाि ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से निचली अदालत द्वारा जारी किए गए सम्मन को खारिज करने के लिए संपर्क किया।
- 18 मार्च: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
- नवंबर, 2013: राजेश और नुपूर तलवार को दोहरी हत्या का दोषी करार देते हुए सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गाजियाबाद में उन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
- सात सितंबर, 2017: इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने माता-पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा और 12 अक्तूबर को फैसले की तारीख दी।
- 12 अक्तूबर, 2017: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि के माता-पिता को बरी किया।