मायावती ने दलित छात्र रोहित की आत्महत्या को ‘सरकारी आंतकवाद’ का नतीजा बताया

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रोहित वेमूला की आत्महत्या का मामला अब राजनीतिक रंग में चढ़ने लगा है। जबकि अन्य घटनाओं और विवादों की भांती पीएम मोदी अभी तब इस मामले पर भी चुप्पी बनाए हुए है। रोहित वेमूला की आत्महत्या के बाद कालेज प्रशासन और मंत्री कटघरे मंे खड़े होते नजर आए तो इनके बचाव में मानव विकास संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी भी बचाव करती नजर आई।
लेकिन अभी तक सभी पार्टिया केवल बयानबाजी और सवाल जवाबों के फेर से बहार नहीं निकल पाई है जबकि व्यवस्था कि खिलाफ बात करने और रोहित को ऐसा कदम क्यूं उठाना पड़ा इस पर बात करने से बचने में सभी नेता समझदारी दिखा रहे है।
रोहित वेमूला की इस दर्दनाक मौत के हादसे पर हालिया बयानों की रेस में अब बसपा सुप्रिमों और सांसद ;राज्यसभाद्ध मायावती भी कूद पड़ी है और उन्होंने जमकर केन्द्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस तरह के जुल्म और ज्यादतियों, शोषण व अन्याय जैसी दुखद घटनाओं के होने से ये और भी ज्यादा स्पष्ट हो जाता है कि आर एस एस की मानसिकता रखने वाली भाजपा सरकार व उसके मंत्री की सोच और व्यवहार दलितों, पिछड़ों व मुस्लिम समाज के करोड़ों लोगों के प्रति कितनी ज्यादा घातक, कु्रर, अमानवीय है।
यहीं कारण है कि देश में नरेन्द्र मोदी सरकार के आने के बाद दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम व ईसाई लोगों पर लगातार अन्याय की घटनाए बढ़ रही हैं। इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों के लिये भाजपा सरकार रवैया काफी उदार व नरम रहा है। जिससे इस तरह के तत्वों को शह मिल रही है।
आजादी के बाद आज पहली बार इस तरह का गलत माहौल भाजपा के मंत्रीगढ़ संगठित होकर संवैधानिक मान-मर्यादाओं का खुलेआम माखौल उड़ा रहे है। और जले पर नमक छिड़कने के लिये प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों को बेलगाम छोड़ रखा है। बहुजन समाज पार्टी भाजपा आर एस एस एण्ड कम्पनी की इस प्रकार के घृणित जातीवादी मानसिकता से प्रभावित नीति व व्यवहार करने वालों का कड़े शब्दों मे विरोध करती है। क्योंकि भाजपा के इस प्रकार के आचार और व्यवहार से देश का हित कभी भी नहीं होने वाला है।

 

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