सरकार के फैसले को महानतम् उपलब्धि बताइये और लाइन में लग जाइयें
अगर विराट कोहली के लिए मोदी सरकार किसी बड़े ओहदे की घोषणा कर दे, तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि सरकार ने कोहली को ही इसके लिए क्यों चुना। विराट कोहली ने पीएम मोदी के 500-1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले को खूब सर्पोट किया है और इसे देश के राजनीतिक इतिहास का महानतम कदम बताया।
अगर आप विराट कोहली का सोशल मीडिया एकाउंट्स देखें तो पाएगें कि लग्जरी लाइफ उनकी दैनिक जीवन शैली का एक अनिवार्य हिस्सा है। होना भी चाहिए वो एक शौहरयाफ्ता खिलाड़ी हैं। हम और आप अनुमान भी नहीं लगा सकते कि वो अपने लग्जरी को मैंनटेन करने के लिए कितना खर्च करते होेंगे?
इतना कि जब उन्हें पता चला कि पांच सौ और एक हज़ार के नोटों पर पाबंदी लग गयी है तो उन्हें इतनी ख़ुशी हुई कि उन्होंने पुराने नोटों पर ऑटोग्राफ देकर किसी को दे देना मुनासिब समझा।
It's greatest move that I've seen in Indian politics by far; hands down, really impressed: Virat Kohli on demonetisation #BlackmoneyDebate pic.twitter.com/iitdDTmxMH
— TIMES NOW (@TimesNow) November 16, 2016
और हम आप जैसे भूखे नंगे लोग उन्ही पांच सौ और एक हज़्ज़र के नोटों को भुनाने केलिए पागलों की तरह कई कई दिनों तक बैंकों और एटीएम के बाहर लाइन में खड़े होने से भी परहेज़ नहीं करते। और करें भी क्यों ना। आखिर हमारे और आप केलिए ये हमारी जीवन यापन का एकमात्र स्रोत है।
लेकिन अगर कोई अपने ही दो हजार रूपये लेने की लाइन में खड़ा हुआ मर जाए तो देशभक्ति के लिए इतना तो किया ही जा सकता है। दो हजार रूपये के लिए घंटो लाइन में खड़े रहना हमारे लिए मामूली कीमत है। मीडिया रिर्पोट्स के अनुसार अब तक इस आपदा के तहत 55 से भी अधिक लोगों की जानें जा चुकी है।
विराट कोहली के लिए बेहद आसान है कि वह अपनी लग्जरी लाइफ में कुछ सैंकेण्ड लोगों को ये बताने में गुजार दे कि नोटबंदी के फैसले के बाद उन पर क्या गुजरेगी बल्कि आखिरी दम पागल कर देने वाली कतारों का हिस्सा बने रहे? कितना आसान होता है किसी भी वीआईपी के लिए लोगों को नसीहत देना जबकि जमीन पर चलने वालों पर क्या गुजर रही है इसकी वो कल्पना भी नहीं कर सकते?
दो हजार रूपये से शायद विराट कोहली के किसी अदने से कर्मचारी की बेसिक जरूरतें भी पूरी ना हो लेकिन वो नहीं जानते कि भारत के करोड़ों लोग इस आर्थिक आपदा की मार को झेल रहे है। लोग अपने रोजगारों पर नहीं जा पा रहे है, कई लोगों को नौकरियों से निकाल दिया गया क्योंकि उनका समय ऑफिस में गुजरने के बजाय बैंकों के बाहर गुजरने लगा था। शादी ब्याह में रूकावटें आ गई है, नमक जैसी चीजों की कालाबाजारी शुरू हो जाती है, इससे उत्पन मानसिक अवसाद के कारण लोग आत्महत्या कर रहे है।
लेकिन विराट कोहली को ऐसा कुछ भी नहीं दिखता। ये वो करोड़ो लोग है जो उनके प्रंशसक है। एयर कंडिशन कमरें में बैठे हुए कोहली जब कतारों की लम्बी लाइनों में भूखे-प्यासे लोगों को नसीहत देते है तो ये उन गरीबों का सबसे बड़ा मजाक बन जाता हैं।
विराट कोहली अगर कोई नसीहत देते है तो दो बाते होती है। एक तो गरीबों को नसीहत मुफ्त मिल जाती है और सरकार के अनुयायियों में एक और नाम जुड़ जाता है अगले पदक के लिए। भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है जब खिलाड़ी भी किसी एक विचारधारा के समर्थन में खुलकर सामने आ रहे है।
जबकि ऐसा पहले नहीं हुआ था कि खिलाड़ी अपने ख्यालातों इजहार किसी समर्थन के प्रति करते नजर आ रहे हो। खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करता है और वो सबके मत का सम्मान करता है इससे पहले भी सौरभ गागुंली, अजहरूद्दीन, महेंद्र धोनी जैसे लोग भारतीय टीम के कैप्टन रहे है और इन्होंने भी लोगों का समर्थन किया है लेकिन एक तरफा झुकाव से प्रभावित होकर बयान देना अजीब सा लगता है।
याद कीजिये जब आईपीएल में सट्टेबाज़ी को लेकर धोनी से पत्रकारों ने प्रेस कांफ्रेंस में टिपण्णी चाहि तो उनका जवाब सिर्फ मुस्कराहट की शक्ल में आया था। और जब पत्रकार फिर भी नहीं माने तो बीसीसीआई के अधिकारी ने वहां आकर ये एलान किया था कि धोनी सिर्फ क्रिकेट पर ही बयान देंगे नाकि किसी और विवादास्पद मुद्दे पर। बावजूद इस के कि सट्टेबाज़ी का मुद्दा भी क्रिकेट से जुड़ा था और उनकी टीम चेन्नई पर गंभीर आरोप लगे थे।
अब जिस मुद्दे पर कोहली से प्रतिक्रिया चाहि गयी उसका क्रिकेट से कुछ लेना देना नहीं था तो फिर बीसीसीआई का कोई अधिकारी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान क्यों नहीं आया और क्यों उसने पत्रकारों को कोई नसीहत नहीं दी ?
तो क्या हम मान लें कि विराट कोहली के केस में मामला कुछ और ही है ? क्या इसकी वजह ये तो नहीं कि उन्हें मोदी जी और उनकी नीतियों का समर्थन केलिए बीसीसीआई के अध्यक्ष की ओर से कोई निर्देश मिला था। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इन दिनों भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भाजपा के युवा और कर्मठ नेता अनुराग ठाकुर हैं।
इसमे सच्चाई हो या ना हो लेकिन सरकार ने विराट कोहली को जरूर नोटिस में ले लिया होगा? अनुपम खैर ने सरकार को प्रमोट करने की खातिर लाजवाब काम किए जिसके चलते उनकी झोली में पद्म भूषण टपक पड़ा।
अब अगर विराट कोहली को सरकार किसी सम्मान या पद से नवाज दे तो आप उनकी योग्यता को ही क्रेडिट देना ना कि नोटबंदी पर मोदी के फैसले को महानतम् कदम की। जब तक विराट कोहली महानता की कोई दूसरी कहानी तलाश कर नहीं लाते तब तक आप अपने दो हजार रूपयों के लिए धेर्य के साथ लाइन में लगे रहिए।