मायावती ने सोमवार को कहा कि नोटबंदी से मेरा नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के चेहरे का नूर उतर गया है। नोटबंदी पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नूर उतर जाने वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए उन्होंने ये जवाब दिया।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी को लेकर एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि केंद्र में सरकार बनने के बाद बीजेपी अपने वादों का एक-चौथाई भी पूरा नहीं कर पाई है। नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में ले लिया और अब यह उनके लिए गले की फांस बन गया है। अपने चोर दरवाजे से बीजेपी ने पूंजीपतियों और धन्नासेठों का बहुत पैसा बहाया है।
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ‘नूर उतर जाने’ वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए सोमवार (26 दिसंबर) को कहा कि नूर उनका (मायावती) नहीं, बल्कि शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे का उतर चुका है क्योंकि नोटबंदी से देश की जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होने कहा जब से नोटबन्दी का फैसला हुआ है पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। 90 फीसदी जनता त्राहि त्राहि कर रही है। मैं तो अपनी पार्टी की मुखिया हूं, मेरे छोटे से छोटे कार्यकर्ता का भी नूर नहीं उतरा है तो मेरा क्या उतरेगा।
मायावती ने कहा कि असल में नोट बंदी के बेवकूफी भरे फैसले के बाद वह बहुत खुश हैं। क्योंकि कहने को तो बीजेपी के नेता कह रहे हैं यह फैसला कालेधन से निपटने के लिए किया गया है लेकिन असल में यह फैसला लोकसभा में जो वायदे किए थे और इसे पूरे नहीं कर सके उन वायदों से ध्यान हटाने के लिए दिया गया है। लेकिन यह फैसला बीजेपी को बहुत महंगा पड़ने वाला है।
उन्होंने कहा कि बसपा ने विषम परिस्थितियों में भी मुस्लिम समाज की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। उनके कल्याण के लिए बसपा ने जो काम किए थे, उसके लिए एक बुकलेट छपवाई थी, उसे फिर से बांटा जा रहा है। मायावती ने कहा कि दंगों को लेकर कांग्रेस का इतिहास भी खराब है।
वर्ष 1980 में मुरादाबाद दंगा, 1987 में मेरठ का हाशिमपुरा व मिलयाना, 1988 में मुजफ्फररनगर और बदायूं दंगों को कौन भुला सकता है। ये सब कांग्रेस के शासनकाल में हुए। सपा इसी तरह मुजफ्फरनगर और दादरी के दागों को नहीं धो सकती।