‘चीनी सामान के बहिष्कार’ अभियान से व्यापारियों को लग सकता है बड़ा झटका

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सोशल मीडिया पर ‘ड्रैगन’ के बहिष्कार के अभियान से राष्ट्रीय राजधानी के व्यापारियों को दिवाली के सीजन में बड़ा झटका लग सकता है। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव में चीन के भारत विरोधी रवैये के बाद सोशल मीडिया

फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर चीन से आयातित सामान की खरीद न करने के लिए अपील जारी की जा रही है।
रोशनी के पर्व दिवाली से पहले राजधानी के बाजार चीनी सामान से पटे पड़े हैं। पिछले कई बरस से दिवाली पर ड्रैगन का कब्जा है। माना जा रहा है कि चाइनीज के बहिष्कार के अभियान ने यदि और जोर पकड़ा तो दिवाली पर चीन से आयातित सामान की खरीद 20 से 30 प्रतिशत घट सकती है।

 

Photo courtesy: india today

राजधानी के व्यापारियों का कहना है कि दिवाली पर चीन से सामान का आयात तीन-चार महीने पहले हो जाता है। यह अभियान कुछ दिन पहले शुरू हुआ है और उनके पास माल कई महीने पहले आ चुका है। यदि लोगों ने ड्रैगन का पूरी तरह बहिष्कार कर दिया, तो उनके लिए अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो सकता है। इसका एक दूसरा पहलू यह है कि यदि दिवाली पर चाइनीज के बहिष्कार की वजह से व्यापारियों का माल नहीं निकल पाता है तो आयातक नए साल और क्रिसमस के लिए चीन को आर्डर देने से बचेेंगे।
व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने भाषा से कहा, ”चीनी सामान के बहिष्कार का असली असर नए साल और क्रिसमस पर दिखाई देगा। अभी तो ज्यादातर व्यापारियों के पास चीन का माल आ चुका है।

यदि दिवाली पर यह नहीं बिकता है, तो आयातक नए साल और क्रिसमस के लिए चीन को आर्डर देने से बचेेंगे।” दिल्ली व्यापार संघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा मानते हैं कि यदि चीन के सामान की खरीद 10-15 प्रतिशत भी घटती है तो व्यापारियों के लिए अपनी लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा। बवेजा ने कहा कि जब से यह अभियान चला है, रिटेलरों द्वारा चीन के सामान की मांग कम हो गई है।

एक मोटे अनुमान के अनुसार अकेले दिवाली पर ही चीन से आयातित सामान का करीब 3,000 करोड़ रूपये का कारोबार होता है। चाहे दिवाली पर घरों में रोशनी के लिए लडिय़ां हों, झालर या गिफ्ट आइटम या खिलौने, फर्नीचर या इलेक्ट्रानिक्स, रसोई के उपकरण आदि हर तरफ चीन का दबदबा है। सस्ते दाम और खूबसूरत डिजाइन की वजह से उपभोक्ता भी चीन के उत्पादों की खरीद पसंद करते हैं।
कैट का मानना है कि इस अभियान की वजह से अभी तक चीनी उत्पादों की खरीद में करीब 10 प्रतिशत की कमी आई है, जो दिवाली तक 20-30 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। दिल्ली के प्रमुख थोक बाजार सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि इस बार छोटे रिटेलर इस आशंका में खरीद कम कर रहे हैं कि चीन के प्रति लोगों की नाराजगी की वजह से उनका माल नहीं निकल पाएगा।
खंडेलवाल का कहना है कि इस तरह का अभियान चीन के साथ भारत को अपने उत्पादों का बाजार समझने वाले उन देशों के लिए भी सबक है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के विरोध में खड़े होते हैं। इससे उनको यह संदेश जाएगा कि यदि वे भारत के खिलाफ कुछ करेंगे, तो सरकार के कदम उठाने से पहले देश की जनता ही उनके खिलाफ खड़ी हो जाएगी। दिल्ली हौजरी होलसेलर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण आनंद भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि सोशल मीडिया पर चल रहे अभियान से चीनी उत्पादों की बिक्री प्रभावित हुई है।

हालांकि, इसके साथ ही उनका कहना है कि चीन का सामान सस्ता होता है और उसकी गुणवत्ता भी बेहतर होती है, ऐसे में हमें अपनी मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करना होगा, तभी इस तरह का अभियान पूरी तरह सफल हो सकता है। आनंद ने कहा कि बड़े पैमाने पर चीन से प्रतिबंधित सामान भी आता है, ऐसे में सरकार को इसे रोकने के उपाय करने चाहिए।

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