गुजरात में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल: रमजान में रोज़ा तोड़ने के लिए मंदिर ने मुसलमानों के लिए खोले दरवाजे

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जहां एक तरफ इस समय कुछ लोग पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर गुजरात के एक छोटे-से गांव के लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की एक अनूठी मिसाल पेश की है, जिसकी चारों तरफ जमकर सराहना हो रही है। यहां हिंदू भाईयों ने रमजान में मुस्लिम समाज के भाइयों के नमाज़ पढ़ने और उनका रोज़ा खोलने के लिए एक प्राचीन मंदिर के दरवाजे खोल दिए है।

गुजरात
(Express Photo)

वडगाम तालुका के गाँव के 100 से अधिक मुस्लिम निवासियों को रमज़ान महीने के दौरान शाम 7 बजे के आसपास वरंदा वीर महाराज मंदिर के परिसर में मग़रिब नमाज़ अदा करने और अपना उपवास तोड़ने के लिए आमंत्रित किया गया, जो एक 1,200 साल पुराना मंदिर है, जो महान सामाजिक और धार्मिक है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वरंदा वीर महाराज मंदिर के 55 वर्षीय पुजारी पंकज ठाकर ने दावा करते हुए कहा कि यह पहली बार था जब मुस्लिम भाइयों के उपवास तोड़ने के लिए मंदिर का परिसर खोला गया है।

ठाकर ने कहा, “वरंदा वीर महाराज मंदिर हमारे गाँव का एक ऐतिहासिक स्थल है। साल भर कई पर्यटक इसे देखने आते हैं। हमने हमेशा सह-अस्तित्व और भाईचारे में विश्वास किया है। कई बार, हिंदू और मुस्लिम त्योहारों की तारीखें टकराती हैं, और हम यह सुनिश्चित करते हैं कि ग्रामीण उनमें से प्रत्येक की मदद करें। इस साल, मंदिर ट्रस्ट और ग्राम पंचायत ने मुस्लिम रोज़ेदारों को अपना उपवास तोड़ने के लिए हमारे मंदिर परिसर में आमंत्रित करने का फैसला किया। हमने अपने गांव के 100 से अधिक मुस्लिम रोज़ेदारों के लिए पांच से छह प्रकार के फल, खजूर और शर्बत की व्यवस्था की। मैंने आज अपनी स्थानीय मस्जिद के मौलाना साहब का व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया।”

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए दलवाना के एक 35 वर्षीय व्यापारी वसीम खान ने कहा, “हमारा गांव समुदायों के बीच भाईचारे के लिए जाना जाता है। हमने अपने हिंदू भाइयों के साथ उनके त्योहारों में भी कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। इस बार ग्राम पंचायत ने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के नेताओं से संपर्क किया और उन्हें एक प्रस्ताव दिया कि हम इस शुक्रवार को मंदिर में अपना उपवास तोड़ दें। यह हमारे लिए भावनात्मक क्षण था।”

2011 की जनगणना के अनुसार दलवाना की आबादी 2,500 है, जिसमें मुख्य रूप से राजपूत, पटेल, प्रजापति, देवीपूजक और मुस्लिम समुदाय शामिल हैं। मुसलमानों में लगभग 50 परिवार है, जो आमतौर पर खेती और व्यवसाय में लगे हुए हैं।

दलवाना सरपंच पिंकीबा राजपूत ने कहा, “रामनवमी और होली के त्योहारों के दौरान, हमारे मुस्लिम भाइयों ने हमारी मदद की, इसलिए हमने सोचा कि इस साल हमें उनके लिए भी ऐसा ही करना चाहिए। हमारा गांव पूरे देश के लिए सामाजिक समरसता की मिसाल है।”

वडगाम के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा, ‘हम अत्यधिक ध्रुवीकृत माहौल में रह रहे हैं और नफरत नया सामान्य हो गया है। लेकिन जब हमें ऐसी अच्छी कहानियाँ सुनने को मिलती हैं, तो यह हमें प्रोत्साहित करती हैं और हमें एक बेहतर भविष्य की आशा देती हैं। मुझे खुशी है कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों में एक-दूसरे की आस्था के लिए परस्पर सम्मान है। यह समय की मांग है।”

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