बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम कर चुकीं मशहूर गीतकार और कवयित्री माया गोविंद का गुरुवार (7 अप्रैल) को मुंबई में निधन हो गया। उनका मुंबई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। वह मुंबई के जुहू में रहती थीं। 82 वर्षीय गीतकार करीब दो महीने से अस्वस्थ चल रहे थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके बेटे अजय ने बताया कि, “आज सुबह करीब 9.30 बजे घर पर उनकी नींद में ही उनकी मौत हो गई। उसके मस्तिष्क में रक्त के थक्के थे और उसे मूत्र संक्रमण जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं थीं।”
अजय ने आगे बताया कि उनकी मां की कुछ महीनों से तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। उन्होंने कहा, “वह हाल ही में दो बार अस्पताल में भर्ती हुईं, एक बार पिछले साल दिसंबर में और फिर इस साल जनवरी में।
माया गोविंद 1972 से हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिख रही थीं और उन्होंने लगभग 350 फिल्मों में गीत लिखे हैं। उन्होंने किताबें भी लिखी हैं और टीवी शो के लिए गीत भी लिखे हैं।
उन्होंने बतौर गीतकार पहली लोकप्रियता साल 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘सावन को आने दो’ में येशुदास-सुलक्षणा पंडित के गाए गाने ‘कजरे की बाती’ से मिली थी। इसके बाद फिल्म फिल्म ‘आरोप’ के गाने ‘नैनों में दर्पण है’ और ‘जब से तुमने बंसी बजाई रे’ ने रातों-रात मशहूर कर दिया।
इसके बाद उन्होंने ‘आंखें में बस हो तुम’, ‘बावरी’, ‘दलाल’, ‘गज गामिनी’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ और ‘हफ्ता वसूली’ जैसी तमाम बडी फिल्मों के गीत लिखे और इसी के साथ ही इन्होंने कई टीवी शोज के लिए भी गीत लिखे।
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