कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने राजद्रोह के कानून के संदर्भ में विधि मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी को लेकर शनिवार को उन पर निशाना साधते हुए कहा कि लगता है कि रिजिजू उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही की खबरें देने वाले अखबार नहीं पढ़ते। वहीं, रिजिजू ने उन पर पलटवार करते हुए कहा कि वह भले ही अखबार नहीं पढ़ते हों, लेकिन यह जानते हैं कि खबरें कभी भी आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनतीं। उन्होंने चिदंबरम से यह सवाल भी किया कि कांग्रेस की सरकारों में लोगों के खिलाफ राजद्रोह के कितने हजार मामले दर्ज किए गए?
पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘विधि मंत्री ने कहा कि राजद्रोह से संबंधित कानून को निरस्त करने का कोई भी प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास नहीं है। उन्होंने यह नहीं बताया कि गृह मंत्रालय के पास ये प्रस्ताव जरूर है कि राजद्रोह के कानून के तहत बहुत सारे निर्दोष लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।’’
उन्होंने रिजिजू पर तंज कसते हुए यह भी कहा, ‘‘विधि मंत्री ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय की ओर से राजद्रोह के कानून के संदर्भ में कोई टिप्पणी किए जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने यह नहीं बताया कि वह उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही की खबरें देने वाले अखबार नहीं पढ़ते।’’
The Law Minister also said that there is no record of the Supreme Court making any observations on the sedition law.
What he did not say was that he does not read newspapers reporting the proceedings of the SC.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) December 11, 2021
पी चिदंबरम के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए रिजिजू ने पलटवार किया, ‘‘कांग्रेस की सरकारों द्वारा लोगों के खिलाफ राजद्रोह के कितने हजार मामले दर्ज किए गए? विधि मंत्री भले ही अखबार नहीं पढ़ता हो, लेकिन वह जानता है कि मीडिया की खबरें विभागों के आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनतीं। माननीय उच्च न्यायालय इससे अगत है कि कैसे टिप्पणियां करनी हैं और कैसे औपचारिक आदेश पारित करना है।’’
How many thousand sedition cases were slapped on people by Congress Govt ?
Law Minister may not read newspaper but Law Minister knows that media reports do not become part of official Depart records.
Hon’ble SC is aware of how to make observations & how to pass formal orders! https://t.co/2sVU4ZANaI
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) December 11, 2021
गौरतलब है कि, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा था कि राजद्रोह से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को हटाने से संबंधित कोई प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि धारा 124ए से संबंधित ‘कानून का सवाल’ उच्चतम न्यायालय के पास लंबित है।
एआईयूडीएफ के नेता बदरुद्दीन अजमल ने उनसे सवाल किया था कि क्या उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? इसके जवाब में विधि मंत्री ने कहा था, ‘‘उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है।’’ (इंपुट: भाषा के साथ)
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