राजस्थान उच्च न्यायालय ने सोमवार को अलवर की एक अदालत द्वारा पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में वर्ष 2019 में बरी किए गए छह लोगों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया। हाई कोर्ट ने यह वारंट पहलू खान के बेटों की अपील पर जारी किया है। बता दें कि, पहलू खान की 2017 में उस समय कथित गौरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी जब वह अपने वाहन में गायों को लेकर जा रहा था।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति गोवर्धन बर्धर और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने पीड़ित के बेटों इरशाद और आरिफ द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए और निचली अदालत के बरी करने के आदेश के खिलाफ राजस्थान सरकार द्वारा दायर एक याचिका के साथ इसे जोड़ते हुए आदेश दिया।
अदालत ने आदेश दिया, “स्वीकार करें। आरोपी-प्रतिवादियों के खिलाफ इस अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए 10,000/- रुपये की जमानती वारंट जारी करें, जो आठ सप्ताह की अवधि के भीतर वापस करने योग्य है।”
आरोपी विपिन यादव, रवींद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश और भीम सिंह को बरी करने के खिलाफ पहलू खान के बेटों द्वारा अपील दायर की गई थी। याचिका में महत्वपूर्ण रूप से कहा गया है कि घायल चश्मदीद गवाह हैं, जिन्होंने विशेष रूप से अभियुक्तों के नाम लिए हैं (निचली अदालत द्वारा बरी)।
दलील में यह भी कहा गया है कि खान को कई चोटें आई थीं और उसे मिली चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी और साथ ही, आरोपी व्यक्ति के पास से हथियार भी बरामद किए गए थे। निचली अदालत के फैसले और बरी करने के आदेश को चुनौती देते हुए, याचिका में कहा गया है कि इस तथ्य के बावजूद कि चश्मदीदों की गवाही विश्वसनीय थी, ट्रायल कोर्ट ने गवाही को खारिज कर दिया और आरोपी व्यक्तियों को बरी कर दिया।
बता दें कि, गोतस्करी के शक में 1 अप्रैल 2017 को कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा पहलू खान की जमकर पिटाई की गई थी, डेयरी बिजनस करने वाले पहलू की 2 दिन बाद मौत हो गई थी। जब यह घटना हुई थी तब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार थी और उस वक्त राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया थीं। वसुंधरा राजे नीत राजस्थान की तत्कालीन भाजपा सरकार को इस घटना को लेकर आलेचनाओं का सामना करना पड़ा था।