उत्तर प्रदेश की झांसी में दो ननों और उनकी दो छात्राओं को परेशान करने के आरोप में हिरासत में लिए गए आरोपियों को सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत दे दी है। इनमें तीन दक्षिणपंथी नेता शामिल हैं, जिनमें से एक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का सदस्य भी है। बुधवार शाम इन तीनों को जेल से रिहा कर दिया गया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों में से एक अजय शंकर तिवारी है, जो एबीवीपी का सदस्य है। एक का नाम अंचल अरजरिया है, जो राष्ट्र भक्त संगठन का सदस्य है और तीसरा पुर्गेश अमरिया है, जो हिंदू जागरण मंच का सचिव है। दो ननों और उनकी दो छात्राओं संग उत्पीड़न करने के मामले के संबंध में 2 अप्रैल को जीआरपी द्वारा इन्हें गिरफ्तार किया गया था। ये सभी 19 मार्च को उत्कल एक्सप्रेस में दिल्ली से राउरकेला तक ट्रेन से सफर कर रही थीं।
तिवारी की शिकायत पर जीआरपी ने झांसी में इन चारों को ट्रेन से जबरदस्ती उतारा गया। इन पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया, जो बाद में झूठा निकला। पिछले महिने दो नन- लिविया थॉमस और हेमलता अपने साथ दो और किशोर लड़कियों श्वेता और वितरंग के साथ दिल्ली से राउरकेला जा रही थीं।
तिवारी की शिकायत पर झांसी पहुंचने पर इन चारों से करीब 3 घंटे तक पूछताछ की गई उनके खिलाफ की गई शिकायत को निराधार पाया गया। लिहाजा उन सभी को छोड़ दिया गया। लेकिन इस घटना के कारण राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश फैल गया
केरल के मुख्यमंत्री द्वारा गृहमंत्री अमित शाह को लिखित में शिकायत दर्ज किए जाने के बाद मामले ने तूल पकड़ा। गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें न्याय दिलाए जाने का आश्वासन दिया था। इसके बाद लखनऊ जीआरपी के पुलिस अधीक्षक सौमित्र यादव द्वारा जांच शुरू की गई, जो झांसी का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं। उनकी रिपोर्ट के आधार पर तीनों को एक निवारक निरोध के तहत गिरफ्तार किया गया था।
सिटी मजिस्ट्रेट सलिल पटेल ने कहा, “तीनों को शांति भंग के आरोप में सीआरपीसी की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया। हालांकि, अब उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है और आगे की सुनवाई के लिए मैंने 22 अप्रैल को अगली तारीख दी है।”