शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सोमवार को कहा था कि सचिन वाजे के मुद्दे पर उन्होंने महा विकास अघाडी (एमवीए) नेताओं को आगाह किया था। उनकी इस टिप्पणी के बाद मुंबई कांग्रेस के पूर्व प्रमुख संजय निरुपम ने मंगलवार को मांग की कि एनआईए द्वारा राउत से पूछताछ की जाए।
संजय निरुपम ने अपने ट्वीट में लिखा, “संजय राउत ने कहा है कि वे सचिन वाजे की पुलिस में दुबारा बहाली के खिलाफ थे। हालाँकि, वे कल तक वज़े को ईमानदार और सक्षम बता रहे हैं। फिर भी वे कौन-से नेता थे जिनके कंधे पर चढ़कर वज़े आया, यह बताना पड़ेगा। NIA को संजय राउत जैसे बकबक करने वालों को उठाकर सचिन वाजे के आकाओं तक पहुँचना चाहिए।”
संजय राऊत ने कहा है कि वे #सचिन_वज़े की पुलिस में दुबारा बहाली के खिलाफ थे।हालाँकि वे कल तक वज़े को ईमानदार और सक्षम बता रहे हैं।
फिर भी वे कौन-से नेता थे जिनके कंधे पर चढ़कर वज़े आया,यह बताना पड़ेगा।#NIA को राऊत जैसे बकबक करनेवालों को उठाकर वज़े के आकाओं तक पहुँचना चाहिए।— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) March 30, 2021
राउत के बयान के एक दिन बाद निरुपम की यह प्रतिक्रिया आई है। लेकिन, यह सर्वविदित है कि मुंबई कांग्रेस के पूर्व प्रमुख शिवसेना के साथ किसी भी गठजोड़ के खिलाफ थे। शिवसेना के पूर्व नेता निरूपम 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
गौरतलब है कि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच कथित गुप्त बैठक की खबर रविवार को लीक होने के बाद एमवीए की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार के भविष्य को लेकर भी कयासबाजी तेज हो गई है। बहरहाल, महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महा विकास अघाडी ने सोमवार को इन अटकलों को खारिज करते हुए दोहराया कि राज्य सरकार पूरी तरह सुरक्षित और मजबूत है।
गठबंधन सरकार के सभी तीन घटक दलों- शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के नेताओं ने इस बात का खंडन किया है कि परदे के पीछे इस तरह की कोई गुप्त वार्ता हुई है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ही ऐसी अटकलों को हवा दे रही है कि एक प्रमुख व्यवसायी के घर गुप्त वार्ता हुई थी।
संजय राउत ने कहा कि था वह “इस तरह की किसी भी बैठक के बारे में नहीं जानते”, लेकिन “अगर वे मिलते भी हैं तो क्या हो गया?” राउत ने मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “अगर देश के गृह मंत्री किसी भी राजनीतिक दल के सांसद या नेता से मिलते हैं, तो इसमें क्या गलत है? पवार साहब एक वरिष्ठ नेता हैं और वह शाह से मिल सकते हैं..यहां तक कि मैं भी मिल सकता हूं।”
राकांपा के महासचिव प्रफुल्ल पटेल ने रविवार को कोच्चि में कहा था, “एमवीए का गठन पवार साहब के प्रयासों से हुआ था, और अनावश्यक चीजों (एमवीए को छोड़कर) के बारे में सोचने का कोई कारण नहीं है।” राउत ने कहा कि राजनीति में दरअसल कुछ भी गुप्त नहीं है, और यदि ऐसा था, तो “आपको इसके बारे में कैसे पता चला?” राउत के मुताबिक, गृह मंत्री ने कहा था कि “हर बैठक को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।”