“सच नहीं दिखाने दिया जा रहा इसलिए मैं ऐसी नौकरी को लात मारता हूं”: ABP न्यूज़ के सीनियर रिपोर्टर रक्षित सिंह ने किसान महापंचायत के मंच पर चढ़ कर चैनल से दिया इस्तीफा, वीडियो वायरल

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हिंदी समाचार चैनल एबीपी न्यूज के सीनियर रिपोर्टर रक्षित सिंह ने शनिवार को मेरठ में किसान महापंचायत के मंच पर चढ़ कर चैनल से इस्तीफा दे दिया। ABP न्यूज़ के लिए काम करने वाले रिपोर्टर ने यह कहते हुए अपनी नौकरी छोड़ दी कि उन्हें किसानों के विरोध-प्रदर्शन पर तथ्य दिखाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। पत्रकार रक्षित सिंह के इस्तीफे की घोषणा करने का वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

रक्षित सिंह

रक्षित सिंह ने शनिवार (27 फरवरी) को ट्वीट कर कहा, “आज मेरे ऊपर भारी दवाब था कि आरएलडी नेता जयन चौधरी की किसान पंचायत की समय से पहले वीडियो बनाकर फ्लॉप दिखाया जाएं। मीडिया चैनल के मालिक पूंजीपति है और पूंजीपतियों की सरकार है। किस तरह ईमानदार पत्रकारों को झूठ बोलने/दिखाने के लिए मजबूर किया जाता है।”

रक्षित ने अपने ट्वीट में आगे कहा, “मुझसे ये दवाब झेला नहीं गया और मेरे जमीर ने मुझे रोक दिया ऐसा करने से! मैनें खुद के संभालकर अपने जमीर की आवाज को सुना और फैसला लिया! मीडिया कर्मी होने के नाते मुझे भारतीय सविंधान को बचाये रखने का भी स्मरण था।”

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के भैंसा गांव में शनिवार को किसान आंदोलन के समर्थन में महापंचायत हुई। महापंचायत में कवरेज के लिए एबीपी न्यूज के सीनियर पत्रकार रक्षित सिंह पहुंचे थे। इस दौरान रक्षित मंच पर पहुंचे और उन्होंने चैनल पर सच न दिखाने का आरोप लगाते हुए अपनी नौकरी छोड़ने का एलान कर दिया। रक्षित ने कहा कि मैं पिछले 15 सालों से पत्रकारिता कर रहा हूं। मैंने यह पत्रकारिता इसलिए चुनी क्योंकि मुझे सच दिखाना था, लेकिन मुझे सच नहीं दिखाने दिया जा रहा। लात मारता हूं मैं ऐसी नौकरी को।

एक वायरल वीडियो में रक्षित सिंह किसान महापंचायत में शामिल लोगों को संबोधित करते नज़र आ रहे हैं। वीडियो में चैनल के प्रति अपना आक्रोश ज़ाहिर करते हुए रक्षित कह रहे हैं, “मेरे माता-पिता ने मुझे अपने खून-पसीने की कमाई से पढ़ाया और मैंने इस पेशे (पत्रकारिता) को चुना। मैंने ये पेशा क्यों चुना था? क्योंकि मुझे सच दिखाना था। लेकिन मुझे सच नहीं दिखाने दिया जा रहा इसलिए मैं ऐसी नौकरी को लात मारता हूं।”

वायरल वीडियो में रक्षित सिहं को यह भी कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला रातों रात नहीं लिया है। वे कहते हैं कि संस्थान में उनका सालाना वेतन करीब 12 लाख रुपए है। उनके पिता का देहांत हो चुका है। पूरे परिवार में सिर्फ वे ही कमाने वाले एक सदस्य हैं। मां, पत्नी-बच्चे समेत पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी उनके ऊपर है। लेकिन इतनी जिम्मेदारियां सिर पर होने के बावजूद उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला काफी दिनों तक सोचने के बाद किया है।

इसके साथ ही रक्षित बड़े भावुक अंदाज़ में कहते हैं कि “मैने यह भी सोचा कि मेरा 4 साल का बच्चा है, जब वो 20 साल का होगा और मुझसे पूछेगा कि जब देश में अघोषित इमरजेंसी लगी थी, तब बापू तू कहाँ खड़ा था, तो अब मैं सीना ठोक कर कहूंगा कि मैं किसानों के साथ खड़ा था।”

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