किसान आंदोलन: उद्योगपतियों पर फूटा किसान संगठनों का गुस्सा, अंबानी-अडाणी के बाद अब बाबा रामदेव की पतंजलि का भी करेंगे बहिष्कार

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मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान पिछले एक महीने से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर डटे हुए हैं तो वहीं सरकार भी नरम पड़ती नहीं दिख रही। वहीं, किसान संगठनों का गुस्सा अब देश के उद्योगपतियों को ऊपर भी निकल रहा है। मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के प्रॉडक्ट्स का बहिष्कार करने के बाद किसान संगठनों की नजर बाबा रामदेव के पतंजलि पर है।

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किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा है कि पतंजलि के उत्पादों का भी बहिष्कार किया जाना चाहिए। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा, हमने दो फैसले लिए हैं। एक तो बाबा रामदेव, अंबानी और अडाणी के सामानों का बहिष्कार किया जाना चाहिए, लेकिन जबरदस्ती किसी की दुकान या पेट्रोल पंप वगैरह नहीं बंद करानी है। दूसरा ये कि जबतक हमारी मांग नहीं मान ली जाती है जबतक हरियाणा में अनिश्चित काल के लिए सारे टोल फ्री रहेंगे।

बता दें कि, प्रदर्शनकारी किसानों में देश के दो दिग्गज उद्योगपतियों- मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के प्रति काफी रोष देखा जा रहा है। इनका मानना है कि इन दोनों उद्योगपतियों की नजर किसानों की जमीनों पर है क्योंकि वो कृषि उद्योग में अपना धंधा तलाश रहे हैं।

गौरतलब है कि, केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं। वे हरियाणा की सिंघु, टिकरी सीमा और उत्तर प्रदेश की गाजीपुर और चिल्ला सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों के इस आंदोलन को कई संगठनों और राजनितिक दलों का समर्थन मिल चुका है। किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियों के भी निशाने पर आ गई है।

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