राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि किसानों का सम्मान करना सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है, लेकिन अफसोस की बात है कि किसानों को अपने हक के लिये भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पवार ने राष्ट्रीय किसान दिवस पर ट्विटर पर पोस्ट करके किसानों को न्याय मिलने की कामना की। केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

पवार ने ट्वीट किया, “हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसानों का सम्मान करना सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसानों को अपने हक और मांगों के लिये प्रदर्शन करना पड़ रहा है।” उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय किसान दिवस पर किसानों को न्याय मिलने की कामना कर रहा हूं।”
अर्थव्यवस्थेचा महत्त्वाचा घटक असलेल्या बळीराजाला उचित सन्मान देण्याची प्राथमिक जबाबदारी शासनकर्त्यांची आहे. पण आज दुर्दैवाने देशाच्या शेतकऱ्याला त्याचे हक्क व मागण्यांसाठी आंदोलन करावे लागतेय. देशाच्या बळीराजाला न्याय मिळावा हीच राष्ट्रीय शेतकरी दिनानिमित्त सदिच्छा व्यक्त करतो. pic.twitter.com/3CWWLuHrdV
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) December 23, 2020
देश में आज किसान दिवस मनाया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दोपहर का खाना छोड़ने का फैसला लिया है।
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठन इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर हरे हैं जबकि सरकार इनमें किसानों के हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल कर संशोधन का प्रस्ताव दे चुकी है।
मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को लगभग हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। विरोध कर रहे किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियों के भी निशाने पर आ गई है।
उल्लेखनीय है कि, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग को लेकर किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे। सरकार ने बार-बार दोहराया है कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था कायम रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। अब तक सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई वार्ता विफल रही है। (इंपुट: भाषा के साथ)