बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में अंदरूनी घमासान

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बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के परिणाम बुधवार को तड़के चार बजे के बाद घोषित हो गए। एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। वहीं, बिहार चुनाव में 70 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस अपने पिछले प्रदर्शन के आंकड़े 27 तक भी पहुंचने में नाकाम रही है। महज 19 सीटों पर जीत के बाद परेशान कांग्रेस नेता राज्य प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और अविनाश पांडे से खफा है, जो स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष थे।

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बिहार में पूर्व मंत्री, शकीलुजमन अंसारी केंद्रीय नेताओं पर हमला करने वाले पहले शख्स रहे, जो बिहार चुनाव में शामिल थे। समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, “उन्होंने राज्य के नेताओं की बात नहीं मानी और गठजोड़ के दम पर नेतृत्व को अंधेरे में रखा। उन्होंने उन सीटों को भी राजद को सौंप दिया, जो कांग्रेस जीत सकती थीं और हमारे मजबूत उम्मीदवार भी टिकट से वंचित कर दिए गए।”

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, “स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे ने वही किया जो उनके मन में आया और पूरी तरह से सुझावों को नजरअंदाज कर दिया। पीईसी की कोई बैठक नहीं हुई।” कांग्रेस को मुख्य रूप से उन सीटों पर जीत मिली जहां वह भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई में थी। उन्होंने आरोप लगाया कि टिकट बंटवारे के दौरान भी जातिगत समीकरण को नजरअंदाज किया गया और मुसलमानों और ओबीसी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि हालांकि, कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए 70 सीटें मिलीं, लेकिन गठबंधन में शामिल अन्य सहयोगी पार्टियां आरएलएसपी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के साथ बेहतर तरीके से डील किया जा सकता था और महागठबंधन और सीटें जीत सकती थी लेकिन सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन में राजद और कांग्रेस दोनों अड़ियल थे। अब एनडीए के पास एचएएम और वीआईपी हैं जिन्होंने उन्हें फिर से सत्ता में पहुंचा दिया है।

अंसारी ने कहा कि कांग्रेस के पास बिहार में भाजपा को रोकने का मौका था, जिसने उसे गंवा दिया है। बिहार कांग्रेस के नेता शक्ति सिंह गोहिल की कार्यशैली से नाराज हैं। इस बीच, अंसारी ने कहा कि जवाबदेही तय होनी चाहिए। अंसारी ने कहा कि प्रचार अभियान के दौरान राज्य के नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और दूसरे राज्यों के लोगों को बुलाया गया जो एक गलत रणनीति थी। राज्य के नेता, जो बिहार में समीकरण के बारे में जानते थे, वे ज्यादा अच्छा कर सकते थे।

एग्जिट पोल के बाद पार्टी को आगाह करने वाले शकीलुजमन अंसारी पहले नेता थे कि एआईएमआईएम के मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर वोटों की स्थिति के बाद महागठबंधन के लिए स्थिति गंभीर है। राजग बिहार में सत्ता में वापस आ गया है, हालांकि कम मार्जिन के साथ।

बता दें कि, 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा के चुनाव नतीजों में 75 सीटों के साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि 74 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही है। नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर है। सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए को 125 सीटों के साथ बहुमत हासिल हुआ है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन 110 सीटें जीतने में कामयाब रहा है।

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