विवादित किताब ‘दिल्ली राइट्स 2020: द अन टोल्ड स्टोरी’ की लेखिकाओं ने ब्लूम्सबरी, मीडिया संस्थान व डेलरिम्पल के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

0

विवादास्पद पुस्तक “दिल्ली राइट्स 2020: द अन टोल्ड स्टोरी” की लेखिकाओं ने प्रकाशन हाउस ब्लूम्सबरी, कुछ मीडिया संस्थानों और जानी-मानी शख्सियतों के खिलाफ गुरुवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत धोखाधड़ी, संपत्ति का दुरुपयोग और आपराधिक धमकी के आरोप में दर्ज कराई गई है।

लेखिकाओं

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, लेखिकाओं ने दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव से मुलाकात की और नामज़द लोगों के खिलाफ तत्काल एवं जरूरी कार्रवाई की मांग की। शिकायतकर्ताओं ने प्रोफेसर-कार्यकर्ता नंदनी सुंदर, समाचार पोर्टल “द प्रिंट” और “न्यूज़लॉन्ड्री” पर चोरी की संपत्ति प्राप्त करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा इतिहासकार विल्लियम डेलरिम्पल और लेखक आतिश तासीर के खिलाफ आपराधिक धमकी और अलग अलग वर्गों के बीच शत्रुता, नफरत और दुर्भावना पैदा करने वाले बयान देने का आरोप लगाया है।

यह किताब वकील मोनिका अरोड़ा, प्रोफेसर सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा ने लिखी है। 22 अगस्त को लॉन्च के अवसर पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा को अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के विवाद में उलझ गई थी। आरोप है कि 23 फरवरी को पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसा भड़कने से पहले मिश्रा सहित कई नेताओं ने नागरिकता विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाते हुए भड़काऊ भाषण दिए थे।

वैश्विक निंदा का सामना करने के बाद पब्लिशिंग हाउस ब्लूम्सबरी इंडिया (Bloomsbury India) ने इस साल के दिल्ली पोग्रोम के दौरान दिल्ली नरसंहार के लिए मुसलमानों को अपराधी साबित करने की कोशिश पर लिखी किताब को वापस लेने का फैसला किया है। इस पुस्तक लॉन्च कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हुए AAP के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। दिल्ली के मुस्लिम विरोधी पोग्रोम पर हिंदुत्ववादी व्यक्तियों द्वारा लिखी गई एक पुस्तक को प्रकाशित करने के अपने निर्णय के लिए प्रकाशन को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

कंपनी ने बयान में कहा था, “ब्लूम्सबरी इंडिया ने सितंबर में दिल्ली दंगों को उजागर करने की योजना बनाई थी: सितंबर में द अनटोल्ड स्टोरी, एक पुस्तक जो कि फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट दे रही है, जो कि लेखकों द्वारा की गई जांच और हस्तक्षेप पर आधारित है। हालांकि, लेखकों द्वारा हमारे ज्ञान के बिना आयोजित एक आभासी पूर्व-प्रकाशन लॉन्च सहित बहुत हालिया घटनाओं के मद्देनजर, उन पार्टियों की भागीदारी के साथ, जिन्हें प्रकाशकों ने मंजूरी नहीं दी होगी, हमने पुस्तक के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया है।”
कंपनी ने अपने बयान में आगे कहा, “ब्लूम्सबरी इंडिया जोरदार ढंग से बोलने की स्वतंत्रता का समर्थन करता है, लेकिन समाज के प्रति जिम्मेदारी की गहरी भावना रखता है।”

गौरतलब है कि, फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी जिसमें आईबी अधिकारी अंकित शर्मा और हेड कांस्टेबल रतन लाल सहित 53 लोग मारे गए थे। इस हिंसा के दौरान मारे गए लोगों में ज्यादातर मुसलमान शामिल थे। राजधानी दिल्ली में चार दिनों तक जारी रही इस हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल हो गए, इनमें 10 से ज्यादा पुलिसकर्मी भी शामिल थे।

Previous articleकन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री पर ड्रग का साया, अभिनेत्री रागिनी द्विवेदी के आवास पर CCB का छापा
Next articleउत्तर प्रदेश: लखीमपुर खीरी में तीन साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या, 20 दिन में तीसरी घटना